Saturday, 4 June 2011

कैसे पाया पहला अनुभव

कैसे पाया पहला अनुभव

प्रेषक : अरशद

मैं अरशद लखनऊ से एल एल बी कर रहा हूँ। मैं अन्तर्वासना का करीब तीन साल से नियमित पाठक हूँ और मैं गुरूजी का और अन्तर्वासना के सभी सहयोगी का धन्यवाद करूंगा जिनकी वजह से आज मैं अपनी कथा लिख रहा हूँ। आज मैं आपको अपनी पहले यौन सम्बन्ध के बारे में बताता हूँ जिसकी शुरुआत लखनऊ में हुई।

मैं 5 फ़ुट 9 इंच का हूँ और मेरा लण्ड लगभग 6 इंच का है और 3 इंच मोटा और आगे से करीब सवा तीन इंच है। मेरे में ख़ास बात यह है कि मेरा तीन बार गिरने के बाद भी अगर मैं चाहूं तो खड़ा रहता है, जो लड़कियों के लिए बहुत फायदेमन्द साबित हुआ है।

तो अब चलते हैं कथा पर !

बात उन दिनों की है जब मैं लखनऊ में नया-नया आया था। मैं अपना काम हस्त मैथुन करके चलाता था। कुछ महीने बाद मुझे रात को एक कॉल आई, रात बहुत होने के कारण मैंने फ़ोन नहीं उठाया। अगले दिन जब फिर उसी नंबर से मिस कॉल आई तो मैंने शाम को कॉल-बैक किया मगर रिलाएंस में कोई समस्या होने की वजह से कॉल कहीं और जुड़ गई और किसी लड़की ने फ़ोन उठाया तो मैंने कहा- आपके नम्बर से मिस कॉल आई थी !

तो उसने कहा- मैंने तो कोई कॉल नहीं की और मेरे मोबाइल में बैलेंस भी नहीं है।

मैंने फ़ोन काट दिया। दो दिन बाद किसी दूसरे नंबर से कॉल आई तो किसी लड़की ने पूछा- आप कहाँ से बोल रहे हैं?

मैंने कहा- मैं लखनऊ से बोल रहा हूँ और आप ?

उसने मुझे बताया- कल आपने मुझे कॉल करके मिस कॉल के बारे में पूछा था।

तो मैंने सोचा कि कल तो मैंने दूसरे नंबर पर कॉल की थी तो मैंने उससे यह बात कही।

तो वो कहने लगी- मैं भी अपनी फ्रेंड को फ़ोन लगा रही थी कि गलती से आपका नम्बर लग गया।

फिर मेरे पूछने पर उसने बताया- मैं भी लखनऊ में ही रहती हूँ, नेशनल कॉलेज से बी.काम कर रही हूँ। फिर हमने थोड़ी इधर उधर की बात करके फ़ोन रख दिया। इसी बीच उसने अपना नाम ताहिरा बताया।

फिर एक हफ्ते तक न मेरी कॉल गई और न उसने कॉल की।

फिर एक दिन मैं उसको मेसेज सेंड कर रहा था तभी उसकी कॉल आ गई।

मैंने पूछा- कौन ?

तो उसने कहा- पहचाना नहीं?

मैंने कहा- अच्छा ताहिरा !

फिर हम इधर उधर की बातें करने लगे। फिर मैंने उसके सामने दोस्ती का प्रस्ताव रखा तो उसने स्वीकार कर लिया और फिर उस दिन से हमारी रोज़ बातें होने लगी।

उसने बताया कि वह गोमती नगर में रहती है। फिर एक दिन हमने मिलने की योजना बनाई और हम फन रिपब्लिक में मिलने गए।

उसने पूछा- मैं पहचानूँगी कैसे ?

तो मैंने कहा- कॉल करना, मैं गेट पर मिलूँगा।

जब मैं उससे मिला तो मैं तो उसे देखता ही रह गया। वह दिखने में बहुत खूबसूरत थी, एकदम साधारण सी मगर किसी भी लड़के की जान निकाल ले। मैंने जब उसकी तारीफ की तो उसने कहा कि उसे भी मैं अच्छा लगा।

फिर हम दोनों अन्दर चले गए और काफी पीने लगे। करीब एक घंटे के बाद हम दोनों ने चलने का फैसला किया और फिर उस दिन के बाद से हम लोगों की रोज़ फ़ोन पर बात होने लगी और करीब तीन महीने बाद मैंने उसके सामने प्यार का इज़हार किया उसने भी मुझे आई लव यू टू कहा। हमारी प्यार की गाड़ी चल पड़ी और हम लोग हफ्ते में रोज़ या तीन चार बार मिलने लगे।

फिर एक दिन वो मेरे कमरे में आई। उस वक़्त कोई नहीं था। काफी देर बात होने के बाद हम चुम्बन के विषय में बात करने लगे और मैंने उसे चुम्बन करने को कहा तो वो मान गई और मैंने पहला चुम्बन उसके होंठों पर लिया।

फिर एक दिन सुबह करीब छः बजे उसका फ़ोन आया, उसने मुझे आधे घंटे में मिलने के लिए कहा। मैं उसे लिमा और फिर हम लोग वहाँ से चल दिए अपनी बाइक पर।

उसने मुझसे कहा- मुझे चाय पीनी है !

तो मैं उसके साथ एक रेस्तरां में गया। वो एकदम खाली था। मैंने चाय का आर्डर दिया और हम नीचे जाकर बैठ गए। चाय आई और फिर वेटर ने पूछा- और कुछ?

तो मैंने उसे दस रुपए दिए और कहा- आधे घंटे तक मत आना।

वो चला गया, हम चाय पीने लगे और एक दूसरे को चूमने लगे। मैंने पहली बार किसी लड़की की चूची दबाई। दोस्तो, चूची दबाने का मज़ा भी अलग ही होता है। वो और मैं दोनों उत्तेजित हो गए और तभी उस रेस्तरां में कोई और ग्राहक आ गया और हमे थोड़ी देर बाद जाना पड़ा।

उस दिन से फिर हम दोनों रोज़ फ़ोन-सेक्स करने लगे और करीब दो हफ्ते के बाद उसने कहा- घर के सभी लोग शादी में बनारस जा रहे हैं, मैं परीक्षा की वजह से घर पर अकेली रहूँगी और मेरे साथ बगल वाली सहेली रहेगी।

उसने रात को मुझे घर पर आने को कहा। पहले तो मैं डर गया मगर फिर हिम्मत करके करीब 11 बजे उसके घर पहुँचा। उसने दरवाज़ा खोला, हम अंदर गए तो उसकी सहेली टीवी देख रही थी। उसे देखा तो उसकी सुन्दरता देख मेरी आँखें फटी रह गई। फिर हम लोगों ने साथ खाना खाया और फिर बातें करने लगे। करीब एक बजे उसकी सहेली ने कहा- मुझे नींद आ रही है और वो सोने चली गई। उसके कमरे में जाने के दस मिनट बाद हमने दरवाज़ा बन्द कर लिया और एक दूसरे को बाँहों में लेकर जकड़ने लगे। फिर हम एक दूसरे को पागलों की तरह चूमने लगे। मैं उसकी चूची के साथ खेल रहा था। फिर मैंने फ्रिज से पानी की बोतल निकली और पानी पिया और उसका कुरता उतारने लगा। पहले तो वो थोड़ा पीछे हुई मगर फिर कुछ नहीं बोली और मैंने उसका कुरता उसके बदन से अलग कर दिया। उसने भूरे रंग की ब्रा पहनी थी और वो क़यामत लग रही थी। फिर मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके मम्मों दबाने लगा और उसके होंठों को चूमने लगा और चूमते-चूमते उसकी सलवार भी खोलने लगा। फिर वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में रह गई। क्या लग रही थी वो !

उसके कपड़े उतारने के बाद ही उसके बदन की सही आकृति का पता चला, वो 32-28-34 की थी।

उसने कहा- तुम्हारे कपड़े मैं उतारूँगी।

मैंने कहा- ठीक है !

और वो मेरे कपड़े उतारने लगी। उसने अन्डरवीयर छोड़ कर सब उतार दिया। और फिर हम लोग प्रगाढ़ चुम्बन करने लगे। मैं एक हाथ से उसकी चूत सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसकी चूची दबाता जा रहा था। वो मेरा लण्ड ऊपर से सहला रही थी।

फिर मैंने उसको बिस्तर पर लिटाया और पागलों की तरह उसके पूरे जिस्म को चूमने लगा, पानी को उसके पेट पर गिरा कर उस पानी को अपनी ज़बान से चाटने लगा तो उसने मस्ती में आँखे बंद कर ली। फिर मैंने उसकी ब्रा उतारी और उसकी पैन्टी उतारी तो मैं तो सन्न रह गया। उसकी चूत पर अभी रुएँ ही थे और एकदम चिकनी और साफ़।

वो मेरे ऊपर लेट गई और मेरा अन्डरवीयर उतरा तो डर गई, बोली- यह तो बहुत मोटा है और आगे से तो कुछ ज्यादा ही। मैं तो मर ही जाउंगी।

तो मैंने कहा- यह तुम्हें मारेगा नहीं बल्कि तुम्हें वो सुख देगा जो आज तक तुम नहीं ले पाई हो।

फिर मैंने उससे कहा- तुम शुरू करो !

वो बोली- नहीं तुम करो ! और जैसा फ़ोन पर कहते थे वैसे ही करना !

मैंने उसको लिटाया और एक ऊँगली उसकी चूत में डाली तो वो छटपटाने लगी और ऊँगली निकालने को कहने लगी।

मैंने कहा- उंगली से यह हाल है तो लण्ड जाएगा तो क्या होगा?

वो कुछ नहीं बोली और मैं धीरे-धीरे उंगली करने लगा। फिर दो और फिर तीन ! करीब आधे घंटे के बाद वो कूदने लगी और झड़ गई। वो लेटी रही और मैं अपना काम करता रहा।

वो थोड़ी देर बाद फिर तैयार हो गई, मेरे ऊपर आ गई और मेरे लण्ड के साथ खेलने लगी। उसने लण्ड पर चुम्बन लिया और मुँह में ले कर चूसने लगी। सात आठ मिनट के बाद मैने सारा रस उसके मुँह में निकाल दिया। वो समझ नहीं पाई और मेरे कहने पर पी गई और कहने लगी- यह तो नमकीन है।

हम दोनों एक-दूसरे के जिस्म के साथ खेलते रहे और दस मिनट के बाद दोनों फिर तैयार हुए। मैंने उसे पैर फैलाने को कहा और लण्ड अंदर डालने लगा। वो चीखने लगी तो मैंने निकाल लिया तो वह कुछ देर बाद बोली- निकाला क्यूँ ? अब मत निकालना !

फिर मैं दोबारा डालने लगा और वो आवाज़ करने लगी तो मैं रुक गया। जब वो चुप हुई तो मैं फिर से डालने लगा तो मेरा लण्ड अंदर ही नहीं जा रहा था तो मैंने एक जोर का झटका मारा और लगभग आधा लण्ड अंदर चला गया तो वो जोर से चिल्लाई मगर तभी मैंने उसके होंठ पर अपने होंठ रख दिए और उसके ऊपर लेट गया और उसके होंठ चूसता रहा। कुछ देर बाद वो भी मेरे होंठ चूसने लगी। और फिर मैंने अपना लण्ड और अंदर डाला जो थोड़ी दिक्क़त के साथ अंदर चला गया।

फिर मैं धक्के मारने लगा और वो भी मेरा साथ देने लगी। करीब 7 मिनट के बाद दोनों एक साथ झड़ गए मगर मुझे अभी भी संतुष्टि नहीं मिली थी और मैं धक्के मारता रहा। करीब एक मिनट के बाद मेरा फिर पूरी तरह से खड़ा हो गया और मैं उसको चोदता रहा। वो एकदम बुरी हालत में थी मगर कुछ बोली नहीं और करीब दस मिनट के बाद मैं फिर झड़ गया।

उसकी हालत बहुत ख़राब थी और वो हिल भी नहीं पा रही थी। करीब दस मिनट हम ऐसे ही लेटे रहे, फिर वो बोली- मज़ा भी आया और जान भी निकाल दी मेरी ! मुझे लगा आज मैं गई। काफी स्टेमिना है तुममें। मैंने तो सुना था एक बार या दो बार के बाद लड़के गिर पड़ते हैं मगर तीन-चार बार?

हम उठे और बाथरूम में चले गए।

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