Sunday, 12 June 2011

एक शख्स, जिसने बदल दी कंप्यूटर की दुनिया

नई दिल्ली
छोटे से गैराजनुमा ऑफिस में नंगे पैर इधर से उधर भागते, सूट-बूट की जगह जींस और टी-शर्ट पहने उस शख्स को देखकर कौन कह सकता था कि इसने कंप्यूटर की दुनिया को बदलने की ठान ली है। कौन जानता था कि हिप्पियों की तरह भारत घूमकर आया वह दुबला-पतला शख्स जो एक वक्त का खाना हरे कृष्णा मंदिर में खाता था, कोक की खाली बोतलें लौटाकर डिनर का इंतजाम करता, कुछ साल के अंदर दुनिया की सबसे चहेती कंपनी खड़ी कर देगा। वह शख्स था स्टीव जॉब्स और उसकी कंपनी एपल को नामी मैगजीन फॉर्च्यून ने लगातार चौथे साल दुनिया की सबसे पसंदीदा कंपनी के तौर पर चुना है।
मैक कंप्यूटर, आई पॉड, आई फोन और अब आई पैड लाने वाली इस कंपनी ने साबित किया है कि हटके सोचा जाए तो गेम चेंजर बनने से कोई नहीं रोक सकता। गेम चेंजर यानी कुछ ऐसा करने वाला जो सारा खेल बदल दे। आई पॉड ने हमारे म्यूजिक सुनने का अंदाज बदला, आई फोन ने हमें टचस्क्रीन का जलवा सिखाया और अब आई पैड ने टैबलेट पीसी को सबसे ज्यादा तेज बिकने वाला गैजट बना दिया है। मैक कंप्यूटर और लैपटॉप की आदत तो ऐसी है कि आप फिर कोई और पीसी इस्तेमाल ही न कर पाएं।
पिछले 20-25 साल में एपल ने कॉरपोरेट कल्चर को भी बदल डाला। 1976 के दौरान जब स्टीव जॉब्स एपल को और बिल गेट्स माइक्रोसॉफ्ट को तैयार कर रहे थे, तब कंप्यूटर की दुनिया मेें आईबीएम का ऐसा कब्जा था कि उसे हटाने की कोई सोच भी नहीं सकता था। पायरेट्स ऑफ सिलिकॉन वैली नाम की फिल्म ने उस दौर को बखूबी पेश किया, जिसमें काले सूट और टाई से लैस आईबीएम के अफसरों को अपने बोर्डरूम में बैठकर स्टीव और गेट्स पर हंसते दिखाया गया, जो कल्पना तक करने को तैयार नहीं थे कि ये 'कल के बच्चे' उनका कुछ बिगाड़ पाएंगे। लेकिन आज आईबीएम का पीसी बाजार से पत्ता साफ हो चुका है।
स्टीव जॉब्स ने अच्छे ऑफिस के कॉन्सेप्ट को ही बदल डाला। वह खुद काम करने वाले मालिक बने, जो सूट-बूट तो छोडि़ए, ऑफिस में नंगे पांव घूमता नजर आता। उनकी यह अप्रोच बाद में एक फैशन बन गई, जिसकी कई कंपनियों ने खूब नकल की। लेकिन नकल में असल वाला जलवा कहां। यही वजह है कि आईबीएम का तख्त हिलाने के लिए एपल ने एकदम नई रणनीति बनाई। बोरिंग, भद्दे और बड़े से कंप्यूटरों की नकल के बजाय वह ऐसे कंप्यूटर लाई जो दिखने में खूबसूरत, इस्तेमाल करने में आसान और क्वॉलिटी में सबसे बढि़या हों। उन्हें इसमें थोड़ा समय लगा, लेकिन उन्होंने बाजार की तस्वीर बदल दी।
इंडियन सेलुलर असोसिएशन के अध्यक्ष पंकज महेंद्रू कहते हैं कि स्टीव जॉब्स और एपल ने सिखाया कि कैसे डिजाइन और रिसर्च पर काम करके कामयाबी हासिल की जा सकती है। इसके अलावा किस तरह बाकी इनोवेटिव लोगों को साथ लेने से आप वैल्यू के बदले वैल्यू हासिल करते हैं , यह भी एपल का दिया सबक है। महेंद्रू के मुताबिक भारतीय बिजनेसमैन के लिए यह बड़ा सबक है क्योंकि वे अच्छा मौका तो ढूंढते हैं लेकिन रिसर्च और डिजाइन को तवज्जो नहीं देते। महेंद्रू के इस पॉइंट में दम है क्योंकि एपल ने आई फोन और अब आई पैड में एप्लिकेशन स्टोर का जो फंडा दिया , उसने एक नई धारा शुरू कर दी। लोग एपल के लिए एप्लिकेशन बनाते हैं और एपल के प्रॉडक्ट इस्तेमाल करने वालों को अपनी डिवाइस पर कुछ नया करने को मिलता है। अब तक एपल के एप्लिकेशन स्टोर से 10 अरब से ज्यादा डाउनलोड हो चुके हैं।

No comments:

Post a Comment

LinkWithin

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...