Friday 17 June 2011

Old Computers

1.

New brand P4 Computer with 1GB RAM, 160GB SATA Hard disk and 1 year warranty

945 Intel Chip set Motherboard
Processor P4 2.0 GHz
1GB DDR2 RAM
160GB SATA hard disk WD
Cabinet with SMPS
Keyboard
Mouse
15" CRT monitor
Rs.8500

With Superb performance and 1year warranty





2.


Intel P4 computer specification details :
- Intel Atom 1.6GHz Processor
- 1GB DDR II Memory (Expandable upto 2GB)
- 250GB Hard Drive (Expandable upto 300GB or higher)
- Integrated Video Controller
- Integrated 10/100 Ethernet
- Integrated Sound Controller
- USB Keyboard with a Touchpad Mouse or Normal Keyboard ( Optional Rs.300 additional)
- Convenient built-in phone
- 4 USB Ports
- 14" colour CRT monitor, 0.28 DP, 1024 x 768

- All manuals, cables, original Intel sealed box packing.
Price - Rs.10,600/-



3.BRAND NEW MOTHERBOARD WITH 1yr. WARRANTY.

CPU - INTEL P4 - 2.40 GHZ

MEMORY - 512 MB

HARD DISK - 40 GB

OPTICAL DRIVE - CDROM

OPERATING SYSTEM - WIN XP.

Rs.6000

Sunday 12 June 2011

कम कीमत में लें बढ़िया फोन का मजा

फोन सस्ता हो लेकिन उसमें सबकुछ हो... मोबाइल हैंडसेट लेने वालों में सबसे बड़े सेग्मेंट की यही डिमांड होती है। मोबाइल फोन की कीमत हजार रुपये से भी नीचे गिर गई हैं लेकिन ऐंट्रि- लेवल की सबसे बड़ी खूबी है कि यहां लोग सबसे कम कीमत नहीं बल्कि कम -से-कम कीमत और ज्यादा-से-ज्यादा फीचर वाला फोन ढूंढ रहे हैं। इसी तलाश को इस बार हम बना रहे हैं

Nokia C1-01

नोकिया के सबसे सस्ते फोन में हमने इस सेट को चुना क्योंकि थोड़ा-सा एक्स्ट्रा खर्च करने पर यह आपको बहुत ज्यादा फीचर देता है। वैसे नोकिया रेंज में सबसे सस्ता फोन 1280 मॉडल है जिसकी कीमत 1,112 रुपये है, लेकिन यह एकदम बेसिक हैंडसेट है। सी1-01 की कीमत इस वक्त करीब 2,500 रुपये है।

- इस हैंडसेट में आपको स्टीरियो एफएम के अलावा रेडियो रिकॉर्डिंग का फीचर भी मिलता है। 3.5 एमएम का जैक भी बड़ी खूबी है। 1000 नंबर वाली अड्रेस बुक है।

- इस फोन में नोकिया ने 32 जीबी तक मेमरी बढ़ाने का फीचर दिया है जो एंट्री लेवल में शायद ही मिले। यानी आप फोन माइक्रो यूएसबी कार्ड की मदद से ढेरों गाने डाउनलोड करके सुन सकते हैं।

- इसमें वीजीए और विडियो कैमरा भी है। 1.8 इंच का डिस्प्ले है और इंटरनेट सर्फिंग के लिए इसमें ओपेरा मिनी ब्राउजर दिया गया है। जीपीआरएस की मदद से इंटरनेट एक्सेस किया जा सकता है। एमएमएस फीचर भी है।

- नोकिया मेसेजिंग सर्विस की मदद से आप इसमें इंटरनेट और इंस्टैंट मेसेजिंग अकाउंट्स को भी एक्सेस कर सकते हैं। इसके अलावा नोकिया ओवी लाइफ का फीचर भी इसमें है जिसमें कई तरह के अपडेट हासिल किए जा सकते हैं।

Samsung E2152

सैमसंग ने अपनी गुरु सीरीज से एंट्री लेवल में कई अच्छे हैंडसेट दिए हैं। इस कंपनी के सबसे सस्ते फोन में गुरु 1175 की कीमत करीब 1,520 रुपये और गुरु 1160 की कीमत करीब 1,680 रुपये है। लेकिन ये दोनों काफी बेसिक फोन हैं और इनमें कैमरे का फीचर नहीं है। 2152 की बाजार में कीमत करीब 2,800 रुपये है, डबल सिम और कई वैल्यू फॉर मनी फीचर की वजह से हमने इसे चुना।

- एंट्री लेवल में दो नंबर एक साथ रखने की आजादी देना इस फोन की सबसे बड़ी खूबी है। नोकिया के डबल सिम फोन में महज बेसिक फीचर हैं लेकिन डबल सिम के साथ यह फोन आपको और भी कई फीचर देता है।

- इसमें ई-मेल सर्विस के अलावा फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल नेटवर्क शॉर्टकट्स और गूगल टॉक जैसे चैट फीचर भी मिलते हैं। दोनों सिम इस सर्विस को सपोर्ट करेंगे। जीपीआरएस इंटरनेट सर्विस है।

- वीजीए कैमरा, विडियो रिकॉर्डिंग और विडियो प्लेयर भी इसमें है। इसकी मेमरी आप एक्सटर्नल कार्ड से 2 जीबी तक बढ़ा सकते हैं। स्टीरियो एफएम और एफएम रिकॉर्डिंग भी है।

- 13.5 एमएम की मोटाई के साथ फोन के लुक्स स्लीक है। 1000 नंबर तक की अड्रेस बुक है।

Motorola WX 295

मोटोरोला ने भारतीय बाजार में जोरदार वापसी की है। उसका जोर एंड्रॉयड हैंडसेट और एंट्री लेवल पर है। हालांकि एंट्री रेंज में बहुत ज्यादा दमदार पेशकश नहीं हैं लेकिन स्टाइल पसंद करने वालों के लिए डब्ल्यूएक्स 295 अच्छा फोन हो सकता है।

- यह फ्लिप वाला फोन है, इसलिए औरों से थोड़ा हटकर है। कई लोगों को यह स्टाइल आउटडेटेड लग सकता है लेकिन जेब में फोन रहने पर बटन नहीं दबने का फायदा तो इसमें है ही।

- इस कैटिगरी के हिसाब से वीजीए और बेसिक विडियो कैमरा जैसे फीचर भी हैं। हालांकि इसमें आपको फोन के स्क्रीनशॉट के लायक ही रिजल्ट मिलेंगे। बेसिक एफएम रेडियो भी है।

- माइक्रो एसडी कार्ड से मेमरी 2 जीबी तक बढ़ा सकते हैं। इसमें 800 नंबर फोन पर स्टोर करने की सुविधा है और करीब 500 एसएमएस भी रखे जा सकते हैं।

LG GS190

एलजी ने अपने मोबाइल फोन प्लैटफॉर्म को काफी व्यापक किया है। सस्ते और दमदार हैंडसेट्स की इसकी पेशकश में हमें जीएस 190 बेहतर फोन लगा। कम कीमत में एक्स्ट्रा ऑडिर्नरी की टैगलाइन के साथ इसे पेश किया गया है। यह करीब 2,700 रुपये का हैंडसेट है।

- वायरलेस एफएम के फीचर से आप बिना हैंडसेट लगाए ही रेडियो का मजा ले सकते हैं। एफएम रिकॉडिर्ंग का फीचर है। इसके अलावा वीजीए कैमरा और विडियो रिकॉडिर्ंग कर सकते हैं। एमपी3 प्लेयर भी है।

- मेमरी 8 जीबी तक बढ़ा सकते हैं। इसके अलावा शेड्यूल्ड एसएमएस भी अच्छा फीचर है जिसमें आप मेसेज भेजने का टाइम प्री सेट कर सकते हैं। फ्लाइट मोड में आप हैंडसेट को ऑफलाइन रखते हुए भी ऑन रख सकते हैं।

- मोबाइल की एड्रेस बुक में 1000 नंबर तक सेव कर सकते हैं और 275 एसएमएस भी रखे जा सकते हैं। फोन का बिल्ट स्ट्रॉन्ग है। हालांकि इसे एक्स्ट्रा ऑडिर्नरी फोन के तौर पर पेश किया गया है लेकिन ये फीचर इस रेंज के लगभग सभी ब्रैंडेड सेट में मिल रहे हैं।

Micromax X 266

माइक्रोमैक्स ने डबल सिम कैटिगरी में अच्छी पकड़ बनाई है। एंट्री लेवल के फोन में यह काफी अच्छा ब्रैंड बन चुकी है। बाकी ब्रैंड के मुकाबले आपको उसी प्राइस रेंज में माइक्रोमैक्स से कुछ एक्स्ट्रा ही मिलेगा। एक्स 266 को हमने इस रेंज के फोन के तौर पर चुना। इसकी कीमत भी करीब 2,500 रुपये है।

- इस डबल सिम फोन में म्यूजिक सुनने का मजा ही अलग है। डबल स्पीकर के साथ कंपनी ने यामाहा एंपलीफायर दिए हैं जो साउंड आउटपुट को अच्छा बना देते हैं।

- इस फोन में 1.3 मेगापिक्सल कैमरा मिलेगा। यह इस प्राइस रेंज के उन बाकी फोन से ज्यादा है जिनमें अच्छे ब्रैंड आपको वीजीए कैमरा ही देते हैं।

- मेमरी के मामले में भी यह नोकिया के सी1-01 से ही कम है और इसमें आप मेमरी 8 जीबी तक बढ़ा सकते हैं। जीपीआरएस सर्फिंग करने के लिए ओपेरा मिनी ब्राउजर दिया गया है। ड्युल लेड टॉर्च का फीचर भी है।

आप भी बन सकते हैं ट्विटर के सुपर स्टार

ट्विटर पर सेलिब्रिटी कोई भी बन सकता है। बॉलिवुड सुपर स्टार की तरह भले ही आपके लाखों फॉलोअर न बन पाएं लेकिन कुछ समझदारी से काम लिया जाए तो हजारों का आंकड़ा आपकी पहुंच में आ सकता है। सोशल नेटवर्किंग के इस मंच पर ढेरों ऐसे लोग हैं जो रियल लाइफ में बड़े नाम नहीं हैं लेकिन अपने चतुर अंदाज से वे ट्विटर के सुपर स्टार बन गए हैं। ट्विटर पर ज्यादा फॉलोअर बनाने के क्या हैं टिप्स बता रहे हैं आशीष पांडे :

आपका प्रोफाइल आपका आइना
ट्विटर में सबसे अहम होता है आपका प्रोफाइल। इसमें भी सबसे पहले हम बात करते हैं डीपी यानी डिस्प्ले पिक्चर की, जहां आप अपनी तस्वीर लगाते हैं। याद रखें ट्विटर का अकाउंट है, कोई सरकारी फॉर्म नहीं। इसलिए जरूरी नहीं कि पासपोर्ट साइज कोई आम फोटो लगाई जाए, इसमें कुछ ट्विस्ट लाएं और कूल फोटो लगाएं। इसके बाद आपकी डिटेल्स बेहद अहम है। यहां आप 160 अक्षरों में अपने बारे में लिख सकते हैं। साधारण-सा बायोडेटा बनाने के बजाय अपने बारे में मजेदार ढंग से जानकारी दें। जिसमें आप क्या करते हैं, क्या शौक है और आपकी पर्सनैलिटी का क्या कलेवर है, इसके बारे में पता लग जाए। पूरे 160 अक्षर इस्तेमाल करने के बजाय 3-4 लाइन में आप अपनी बात पूरी कर लें क्योंकि कोई बहुत लंबी-चौड़ी कहानी नहीं पढ़ना चाहता और ट्विटर पर पूरे 160 अक्षर का प्रोफाइल कहानी बन जाता है।

जो बोलो दिल से बोलो
ट्विटर पर आपका प्रोफाइल या डीपी आपको कुछ फॉलोअर दिला सकता है या लोगों को आपकी टाइम लाइन देखने को लुभा सकता है, लेकिन कामयाबी सिर्फ इससे तय नहीं होती। आप क्या ट्वीट करते हैं वह सबसे ज्यादा अहम है। अगर आप अमिताभ बच्चन या शाहरुख खान जैसी हस्ती नहीं हैं तो मैं बाजार में हूं, टीवी देख रहा हूं, कैसे कपड़े पहने हैं जैसी बेकार की बातें कहने का कोई तुक नहीं है। किसी को आपकी डेली लाइफ में कोई रुचि नहीं है। कुछ मजेदार बात बताएं, किसी घटना या समाचार पर मजेदार कमेंट करें या कुछ अलग बताएं, तभी लोग आपकी सुनेंगे और फॉलोअर बनकर आपकी ट्वीट पढ़ना चाहेंगे।

फॉलो का फंडा : सिलेब्रिटीज
ट्विटर पर आप दो तरह के लोगों को फॉलो करते हैं। पहले जानते हैं कि सिलेब्रिटीज को फॉलो करके कैसे बनाएं ज्यादा फॉलोअर। बड़ी हस्तियां अकसर अपनी बातें ट्विटर पर बताती रहती हैं। आपको अगर उनकी किसी ट्वीट का मजेदार जवाब सूझता है तो उस पर अपना जवाब जरूर दें। लेकिन बस खाली बोलने के लिए बेमतलब की ट्वीट न करें। आप उनसे कभी कोई मजेदार सवाल भी पूछ सकते हैं। अकसर सिलेब्रिटीज अच्छे ट्वीट या सवालों का जवाब भी देते हैं। उनके ऐसा करने पर आपका नाम उनके बाकी फॉलोअर के बीच भी जाता है और आपको ऐसे में कुछ फॉलोअर जरूर मिलेंगे। वे सिलेब्रिटी जिनके बहुत ज्यादा फॉलोअर हैं वे अकसर सभी के जवाब नोटिस नहीं कर पाते। अमिताभ बच्चन के बजाय गुल पनाग से आपको जवाब मिलने के ज्यादा आसार हैं, सचिन तेंडुलकर के बजाय श्रीशांत से रिप्लाई मिल सकता है।

फॉलो का फंडा : कॉमन लोग
सिलेब्रिटीज के अलावा आप ऐसे आम लोग भी ट्विटर पर ढूंढ सकते हैं जो मजेदार ट्वीट करते हैं। इनमें से ज्यादातर ऐसे हैं जिन्हें आप फॉलो करेंगे तो वे आपको भी फॉलो करेंगे। इसलिए कई लोगों को फॉलो करने का तरीका आपको भी फॉलोअर जरूर दिलाता है। इसी तरह जो लोग आपको फॉलो कर रहे हैं, उनका प्रोफाइल देखें, अगर वे आपको मजेदार लगते हैं तो उन्हें जरूर फॉलो करें। फॉलो नहीं कर रहे तो कम-से-कम एक डायरेक्ट मेसेज भेजकर थैंक्स तो जरूर कहें। इस तरह अगर आपके 100 के आसपास फॉलोअर हो जाते हैं और आप अच्छे ट्वीट करते हैं तो आपको एक ऑडियंस तो मिल ही जाएगी जिसके बूते आपके फॉलोअर की संख्या बढ़ती ही जाएगी।

ट्वीट करने के बेसिक्स
ट्वीट करने में आप कुछ दिलचस्प सवाल पूछें, अकसर लोग इनका जवाब देते हैं जिससे एक संवाद कायम हो जाता है। इसके अलावा आप अपने पसंद की खबरों या एक्सर्पट्स की ट्वीट को री-ट्विट करें, इससे आप लोगों की टाइम लाइन में अक्सर नजर आते रहेंगे और ज्यादा फॉलोअर बनने का चांस रहेगा। इसके अलावा ट्वीट करते रहें, बेमतलब की बातें नहीं लेकिन कुछ-न-कुछ ट्वीट करें। क्योंकि आप अगर लोगों की टाइम लाइन में नजर आते रहेंगे तो आप फॉलोअर चार्ट में भी ऊपर बनें रहेंगे।

ट्विटर की बोली
टाइम लाइन : ट्विटर पर लॉगइन करने के बाद आपके होम पेज पर जो ट्विटस नजर आती हैं उन्हें टाइम लाइन करते हैं। होम पेज पर टाइम लाइन के अलावा एक सेक्शन mention का है, इसमें अगर कोई आपकी ट्वीट के जवाब में या आपके नाम के साथ कुछ कहता है तो वह नजर आता है।

री-ट्वीट : आप अगर किसी की ट्वीट को उसके ही नाम से अपने ही फॉलोअर के बीच प्रचारित करते हैं तो इसे री-ट्वीट कहा जाता है। ट्विटर के होम पेज पर एक सेक्शन retweet का है जहां आप खुद किए री-ट्वीट मेसेज या दूसरों के द्वारा री-ट्वीट किए गए आपके मेसेज देख सकते हैं। आपका मेसेज अगर लोग री-ट्वीट करते हैं तो यह आपके लिए अच्छी बात है।

हैंडल : ट्विटर पर आपका अकाउंट नेम हैंडल कहलाता है। जब आप ट्विटर पर अपना अकाउंट बनाते हैं तो अकाउंट नेम भी तय करने को कहा जाता है। आप अगर कभी इसे बदलना चाहें तो ट्विटर आपको इसकी छूट देता है, आप अपने पुराने अकाउंट में ही नया नाम दे सकते हैं बशर्ते की वह मौजूद हो। ऐसा करने से आपके ट्विटर अकाउंट, टाइम लाइन या फॉलोअर पर असर नहीं पड़ता।

एफएफ व जीएफएफ : एफएफ का मतलब है फॉलो फ्राइडे, इसे हैश के बटन के साथ आप किसी ट्विटर अकाउंट होल्डर को प्रमोट करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। इसका मतलब होता है कि इस शख्स को फॉलो करो। जीएफएफ का मतलब होता है गेट फॉलोअर्स फास्ट, यानी कुछ साइट्स कहती हैं कि आप अगर अपना अकाउंट और पासवर्ड उन्हें देंगे तो वे आपको ज्यादा फॉलोअर दिलाएंगी। लेकिन इनसे बचकर रहें क्योंकि ये स्पैम होते हैं।

आरटी, ओह व ट्रेंडिंग टॉपिक : आरटी यानी री-ट्वीट। जब आप किसी की ट्वीट को अपने फॉलोअर के बीच उसी के नाम से भेजते हैं तो यह आरटी कहलाता है। ओह (oh) का मतलब है ओवर हर्ड यानी लोग सुनी-सुनाई गप के लिए इस शब्द का प्रयोग करते हैं। ट्रेंडिंग टॉपिक यानी वे टॉपिक्स जिस पर सबसे ज्यादा ट्वीट हो रही हैं। इसमें आप भारत, अमेरिका, इंग्लैंड या कई अन्य मुल्कों और शहरों यानी दुनियाभर में सबसे ज्यादा ट्वीट हो रहे टॉपिक्स की टॉप लिस्ट देख सकते हैं।

सस्ती सर्फिंग का बेस्ट ऑप्शनः मोबाइल इंटरनेट

नई दिल्ली।। ज्यादातर लोग घर पर इंटरनेट के लिए ब्रॉडबैंड का तरीका अपनाते हैं, जिसके रेट काफी गिरे हैं, लेकिन डेटा कार्ड के जरिए वायरलेस इंटरनेट अब भी बेहद महंगा है। इसमें यूजर्स चार्ज तो काफी ज्यादा हैं, यूएसबी मॉडम भी दो से तीन हजार का बैठता है। तीसरा रास्ता भी है, जिसकी जानकारी बहुत से लोगों को नहीं है। हाल के दिनों में मोबाइल इंटरनेट की दुनिया में एक रिवोल्यूशन हुई है।

मोबाइल सर्फिंग: मोबाइल हैंडसेट के जरिए नेट सर्फिंग करना अब बेहद सस्ता हो चुका है। इस तरीके में मोबाइल हैंडसेट ही मॉडम का काम करता है। हालांकि स्पीड काफी स्लो होती है और उसका मुकाबला ब्रॉडबैंड से नहीं किया जाना चाहिए, लेकिन अगर आप सस्ते में वायरलेस सर्फिंग का मजा लेना चाहते हैं, तो यह बेस्ट ऑप्शन है। विडियो चलाने और हेवी फाइल डाउनलोड करने जैसे कामों को छोड़कर बाकी काम इसमें ठीकठाक हो जाते हैं।

डिवेलप्ड कंट्री में है क्रेज: अमेरिका जैसे देशों में मोबाइल का इस्तेमाल बात करने से ज्यादा इसी तरह की सर्विस के लिए होने लगा है। भारत में भी वही बात लागू होने जा रही है। खास तौर से युवा अपने हैंडसेट पर इंटरनेट की जरूरत महसूस करते हैं, ताकि वे सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर जा सकें। इसीलिए मोबाइल ऑपरेटर्स ने बेहद सस्ते प्लान पेश किए हैं।


आपको क्या करना होगा
-आपके पास जीपीआरएस इनेबेल्ड हैंडसेट होना चाहिए। ऐसा हैंडसेट अब तीन हजार के आसपास मिल जाता है।

-अब यह देखें कि आपका ऑपरेटर सस्ती सर्विस देता है या नहीं, वरना ऐसे ऑपरेटर का सिम ले लें।

-कस्टमर केयर पर फोन से या एसएमएस के जरिए जीपीआरएस ऐक्टिवेट करा लें।

-आप हैंडसेट से ही सर्फिंग कर सकते हैं, लेकिन अगर कंप्यूटर से जोड़ना है, तो डेटा केबल की जरूरत होगी। हो सकता है कि यह फोन के साथ मिली हो, वरना 100-150 रुपये में ले लीजिए।

-अब आपको पीसी सूट चाहिए, जो हैंडसेट और कंप्यूटर के बीच कनेक्शन बनाता है। कुछ हैंडसेट के साथ मिलने वाली सीडी में यह होता है। या फिर आप इसे अपने हैंडसेट की कंपनी की साइट से डाउनलोड कर सकते हैं। इसे अपने कंप्यूटर पर इन्स्टॉल कर लें। जैसे आपका हैंडसेट नोकिया का है तो नोकिया का पीसी सूट चाहिए।

-डेटा केबल के जरिए हैंडसेट को कंप्यूटर के यूएसबी स्लॉट से जोड़ें। हो सकता है हैंडसेट ऑप्शन मांगे। सिलेक्ट करें। कंप्यूटर पर पीसी सूट खोलें। उसमें इंटरनेट ऑप्शन को क्लिक करें। अगर कॉन्फिगरेशन की जरूरत है, तो सिलेक्ट करें। आपका कनेक्शन चालू हो जाएगा। इंटरनेट ब्राउजर खोलें और सर्फिंग पर निकल पड़ें।

स्पेशल सर्विस साइट्स!

अब सोशल नेटवर्किंग साइट्स का मतलब सिर्फ नेटवर्किंग ही नहीं रह गया है, बल्कि यहां पर आपको अपनी जरूरत के मुताबिक तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं। बढ़ते कॉम्पिटीशन के दौरान ये साइट्स आपकी हर जरूरत पूरा करने के लिए तैयार हैं। कुछ समय पहले तक सोशल नेटवर्किंग साइट्स का काम सिर्फ लोगों को एक-दूसरे से कनेक्ट करना माना जाता था। लेकिन जब सिर्फ एक-दूसरे से कॉन्टेक्ट करने के लिए लोगों ने नेटवर्किंग साइट्स पर आना बंद कर दिया, तो उन्हें कुछ स्पेशल करने के बारे में सोचना पड़ा। यही वजह है कि आजकल साइट्स पर डाउनलोडेबल गिफ्ट आइटम से लेकर रेस्तरां रिव्यू और फैमिली ट्री बनाने तक की तमाम सुविधाएं उपलब्ध हैं।

स्टूडेंट देवांशी नागर बताती हैं, 'नवरात्रि सेलिब्रेशंस की अपनी तस्वीरें मैंने यूएस में रहने वाले अपने कजिन से शेयर कीं। इसके कुछ दिनों बाद हमें तंजानिया में रहने वाले अपने एक कजिन की फ्रेंड रिक्वेस्ट मिली। यह तो बस एक शुरुआत थी। उसके बाद हमने अपना फैमिली ट्री बनाने के बारे में सोचा और सभी फैमिली मेंबर्स को रिक्वेस्ट भेज दी। इसके बाद साउथ अफ्रीका में रहने वाले एक कजिन ने मुझे अपनी फ्रेंड लिस्ट में ऐड कर लिया। हमारे बीच काफी बातचीत हुई और पिछले साल तो वह हमारे घर भी आए थे।'

फैमिली मेंबर्स से मिलने के अलावा सोशल नेटवर्किंग साइट्स से लोगों को और भी तमाम फायदे हुए हैं। बाइक के दीवाने सैंडी बताते हैं, 'सोशल नेटवर्किंग साइट पर मैंने एक वर्चुअल बाइक क्लब बना रखा है, जिसके मेंबर्स देश के तमाम शहरों में हैं। इस क्लब में हम लोग एक-दूसरे से अपनी एक्विटीज की पिक्चर्स और जानकारी शेयर करते रहते हैं। इसके अलावा, इस क्लब की मदद से हम रोड ट्रिप भी आयोजित करते हैं। पिछले दिनों हमने राजस्थान का ट्रिप आयोजित किया था और इस क्लब की बदौलत हमें एक जानी-मानी बाइक निर्माता कंपनी की ओर से स्पॉन्सरशिप भी मिल गई। इस तरह अपने ट्रिप को एक कॉन्टेस्ट के तौर पर एंजॉय किया। वरना यह बेहद लंबा, उबाने और थकाने वाला हो सकता था।'

इससे जाहिर है कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स टेक्नोसेवी लोगों के लिए वरदान साबित हो रही हैं। वैसे, अगर आप टेक्नोसेवी नहीं हैं, तो भी आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। दरअसल, नेटवर्किंग साइट्स की बदौलत आप न सिर्फ लेटेस्ट टेक्नॉलजी से अपडेट रह सकते हैं, बल्कि गैजट्स की जानकारी भी हासिल कर सकते हैं। टेक्नॉलजी के फैन आदित्य सिंह कहते हैं, 'मार्केट में आने वाले हर लेटेस्ट गैजट के बारे में जानकारी हासिल करना मुझे अच्छा लगता है। लेकिन अब मार्केट में इतने आइटम्स आ गए हैं कि कई बार आप चाह कर भी हर चीज नहीं देख सकते। कहीं न कहीं कुछ न कुछ छूट जरूर जाता है। इस सिचुएशन से बचने के लिए मैंने एक रिव्यू साइट की मेंबरशिप ली है, जिस पर मोबाइल व गैजट्स से लेकर रेस्तरां तक किसी भी चीज का रिव्यू शेयर कर सकते हैं। मुझे लगता है कि माकेर्ट सर्च करने का इससे बेहतर तरीका और कोई नहीं हो सकता।'

बेशक, नए जमाने में सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर एक क्लिक आपकी जिंदगी बदल सकती है। मसलन सचिन के लिए आज इतने सालों बाद एक साइट पर अपने स्कूल के पुराने दोस्तों से मिलना एक ऐसा एक्सपीरियंस है, जिसे वे शब्दों में बयां नहीं कर सकते। वह बताते हैं, 'साइट पर मेरी मुलाकात अपने कुछ ऐसे दोस्तों से हुई, जो बचपन में अपने पैरंट्स के साथ यूएस चले गए थे। मजे की बात यह है कि यूएस जाने वाले सभी फ्रेंड्स पहले से ही उस साइट के माध्यम से एक-दूसरे के टच में थे। वाकई उस साइट की बदौलत मुझे ऐसी पुरानी यादें फिर से ताजा करने का मौका मिला, जिन्हें मैं कभी भुला नहीं पाया था।' बहरहाल जैसे-जैसे नेटवर्किंग अपने नेक्स्ट लेवल की ओर मूव कर रही है, वैसे-वैसे सोशल नेटवर्किंग साइट्स को भी ऐसा करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है!

कम्प्यूटर देरी से स्टार्ट होता है

मेरा कम्प्यूटर वायरस फ्री है लेकिन स्टार्ट होने में 3-4 मिनट का टाइम लेता है। क्या करूं?
ललित

अगर आपका कम्प्यूटर नॉर्मल स्टार्ट नहीं होता तो इसका मतलब है कि आपके पीसी के किसी सॉफ्टवेयर कॉम्पोनेंट या ड्राइवर में कुछ प्रॉब्लम है। इसके लिए आप अपने कम्प्यूटर को क्लीन बूट कर सकते हैं। इसके लिए इन स्टेप्स को फॉलो करें :

स्टेप 1 :

1. पहले Start, फिर Run पर क्लिक करें। इसके बाद Msconfig टाइप करें और Ok पर क्लिक करें।

2. System Configuration Utility लिखा आएगा। General टैब पर क्लिक करें। इसके बाद Load System Services लिखा आएगा। इस पर टिक लगाएं और ह्रद्म पर क्लिक करें। जब लिखा आए, तब कम्प्यूटर को री-स्टार्ट कर दें।

स्टेप 2 :

1. पहले Start, फिर Run पर क्लिक करें। इसके बाद Msconfig टाइप करें और Ok पर क्लिक करें।

System Configuration Utility डायलॉग बॉक्स में जाकर General टैब पर क्लिक करें। इसके बाद Selective Start-up पर क्लिक करें।

2.फिर Process SYSTEM.INI file पर टिक हटाएं।

3. इसके बाद Process WIN.INI file पर टिक हटाएं।

4. Load Startup Items पर टिक हटाएं। वेरिफाई कर लें कि Load System Services और Use Original BOOT.INI पर टिक लगा हो।

5. Services टैब पर क्लिक करें।

6. Hide All Microsoft Services को सिलेक्ट करें। इससे कंप्यूटर को चलाने वाली सभी जरूरी सविर्स छिप जाएंगी। सिर्फ वे दिखेंगी, जिनसे शायद आपका कम्प्यूटर स्लो चल रहा है। अगर आप Disabled All ऑप्शन को सिलेक्ट कर लेते हैं तो ये सभी सर्विस Disabled हो जाएंगी। अगर आप इनमें से किसी सर्विस की पहचान रखते हैं, जैसे एंटी वायरस स्कैनर, इस सर्विस को Disabled न करें।

7. अब आप Ok को क्लिक करें। और कम्प्यूटर को री-स्टार्ट कर दें।

कम्प्यूटर के स्टार्ट होने पर Don’t show this message or launch the system configuration utility when windows start लिखा आएगा। Ok को क्लिक करें।

अगर अब भी आपकी समस्या दूर नहीं हुई तो System Restore Utility (जोकि All Programs, Accessories, System Tools में मिलेगा) का इस्तेमाल कर अपने कम्प्यूटर को बैक डेट में ले जाएं। इसकी पूरी जानकारी हमने पहले भी दी हुई है।

अगर भीग जाए मोबाइल

अगर आपको लगता है कि पानी में भीग जाने पर आपके मोबाइल का इलाज सिर्फ मोबाइल सर्विस शॉप पर ही हो सकता है, तो यह आपकी गलतफहमी है। अगर आप ऐसा ही करते हैं, तो आपको फिर से सोचने की जरूरत है :

अगली बार अगर कभी आपके मोबाइल की मुलाकात पानी से हो जाए, तो ऐसी सिचुएशन में इन ऑप्शंस को आजमाकर देखें।

बैटरी और सिम
कभी भी मोबाइल पानी में भीग जाए, तो सबसे पहले उसकी बैटरी बाहर निकाल देनी चाहिए। साथ ही, सिम कार्ड को भी भीगने से बचाना बेहद जरूरी है। यह भी सर्किट का ही हिस्सा है। इसलिए बैटरी के साथ इसे भी बाहर निकाल दीजिए।

जींस नहीं बैग
अगर कभी आपको बारिश में बाहर जाना पड़ रहा है, तो अपने सेलफोन को जींस की पॉकेट में रखने की बजाय बैग के एक सेफ कॉर्नर में रखें। इससे फोन को नुकसान पहुंचने का खतरा कम हो जाएगा।

नैचरल इलाज
अगर फोन पानी में भीग गया है, तो आपको उसकी सारी नमी बाहर निकालने की जरूरत है। इसके लिए फोन को एक सूखे कपड़े से पोंछिए। आप इसे कुछ दिनों तक खुले में भी छोड़ सकते हैं। इससे फोन की नमी खुद ब खुद सूख जाएगी।

राइस ट्रिक
अगर गलती से फोन पानी में भीग गया है , तो उसे सुखाने का एक बेहतरीन तरीका राइस ट्रिक है। आप बिना पके हुए चावल का एक बाउल लें और अपने फोन को कुछ घंटे उसमें रहने दें। इसके बाद उसे सूखे कपड़े में रखें। उम्मीद कीजिए कि अब आपका फोन स्विच ऑन हो जाएगा।

नो हेयर ड्रायर
कुछ लोग भीगे हुए फोन को सुखाने के लिए हेयर ड्रायर का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि पानी में भीगे हुए फोन को सुखाने के लिए भूलकर भी उस पर हेयर ड्रायर इस्तेमाल करें। वरना आपका फोन डैमेज हो सकता है।

अब बोरिंग नहीं, हाइटेक तरीके से करें पढ़ाई


स्कूली बस्ते में भारी-भरकम किताबों की जगह बस एक टैबलेट कंप्यूटर हो तो कैसा रहे? शुरुआत तो हो चुकी है, इस साल अमेरिका में कुछ जगहों पर पहले हाई-स्कूल और अब नर्सरी के स्टूडेंट्स के स्कूल बैग में बस एक आई पैड नजर आने लगा है, जिसमें सारी पढ़ाई डाउनलोड रहती है। भारत में भी कुछ स्कूल ब्लैकबोर्ड की जगह स्मार्ट मॉनिटर और किताबों की जगह गैलक्सी टैब को इस्तेमाल करने जा रहे हैं।

आई पैड से पढ़ाई
ऐपल के आई पैड डिवाइस का पढ़ाई में इस्तेमाल होने लगा है। अमेरिका में कुछ किंडरगार्टन स्कूलों ने इसी महीने अपने स्टूडेंट्स के लिए काफी संख्या में इन्हें खरीदा है। भारत में स्टूडेंट खुद ही आई पैड पर पढ़ाई वाले ऐप्लिकेशंस डाउनलोड कर इसे अपने बस्ते में ले आए हैं।

1. स्कूल का सारा कंटेट ऐप्लिकेशन स्टोर पर
ऐपल ने आई पैड पर ऐसी सुविधा दी है जिसमें कोई स्कूल अपना सारा कंटेंट ऑनलाइन डाल सकता है, जिसे स्टूडेंट अपने आई पैड पर ऑनलाइन देख और डाउनलोड कर सकें। ऐपल के ऑनलाइन स्टोर 'I - Tunes' पर खास पढ़ाई के लिए आई ट्यूंस-यू सेक्शन है। इसमें एजुकेशन से जुड़ा तमाम तरह का कंटेंट उपलब्ध है जिसमें ऑडियो-विडियो बुक्स से लेकर लेक्चर्स तक शामिल हैं। स्कूल चाहें तो मुफ्त में अपना अलग सेक्शन बना सकते हैं जिसमें वह पब्लिक एक्सेस या सिर्फ अपने स्टूडेंट्स के लिए पासवर्ड प्रोटेक्टेड एक्सेस तय कर सकते हैं। ब्लैकबोर्ड पर पढ़ाने के बजाय जब स्टूडेंट आई पैड की स्क्रीन पर विडियो लेक्चर या डेमो देखते हैं तो समझना ज्यादा आसान होता है।

2. पढ़ाई वाले ऐप्लिकेशन
आई पैड के ऐप्लिकेशन स्टोर में ऐसे ऐप्लिकेशंस का ढेर है जो बच्चों के लिए पढ़ाई के एक्स्पीरियंस को बेहद मजेदार बना देते हैं। मसलन टची बुक्स नाम का ऐप्लिकेशन जब आप लोड करते हैं तो उसमें ई-बुक के तौर पर कहानी तो है लेकिन आप उसके कैरक्टर को छूते हैं तो वह इंटरऐक्टिव हो कर बच्चों को रोमांचित कर देते हैं। इसी तरह नासा, स्टार वॉक्स, मैथ मैजिक, डिक्शनरी, थ्री डी ब्रेन, कलर मी और इन क्लास जैसे ऐसे हजारों ऐप्लिकेशन हैं जो पढ़ाई को आई पैड की शानदार स्क्रीन पर ग्राफिक्स, एनिमेशन और विडियो की मदद से कतई बोरिंग नहीं होने देते।

3. लेक्चर का विडियो ऐप्लिकेशन
सीबीएसई बोर्ड के ही कई स्टूडेंट्स ने हमें बताया कि उनके काम के कई लेक्चर के विडियो ऐप्लिकेशन वर्ल्ड पर उपलब्ध हैं, जिन्हें वे डाउनलोड कर लेते हैं। इसके अलावा सभी बुक्स ई-बुक के तौर पर डाउनलोड कर आई पैड पर पढ़ने का जो फायदा है वह कागजी किताब से कहीं ज्यादा है। आई पैड ने मल्टीमीडिया एक्स्पीरियंस के अलावा ई-बुक में जो महारत हासिल की है, वह स्टूडेंट्स के लिए काफी उपयोगी साबित हुई है। इसके अलावा ऐपल का आई वर्क ऐप्लिकेशन वैसे तो एमएस ऑफिस को रिप्लेस करता है लेकिन आई पैड के लिए निकाले गए वर्जन में कुछ ऐसे फीचर भी हैं जो किताबों और ब्लैकबोर्ड को रिप्लेस करते हैं। आई वर्क में पेज आपको वर्ड प्रोसेसर की तरह ले आउट बनाने में मदद करता है जबकि की-नोट अपने प्रेजेंटेशन में ऐनिमेशन और विडियो एड करने में, नंबर्स से आप टेबल और चार्ट जैसे ग्राफ तैयार होते हैं।

बस्ते में गैलक्सी टैब
सैमसंग के डिवाइस गैलक्सी टैब को भी स्कूली पढ़ाई के मकसद से इस्तेमाल किया जा रहा है। दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, पुणे और कोलकाता समेत नौ शहरों के स्कूलों में इस पर ट्रायल चल रहे हैं।

1. स्मार्ट क्लासरूम-स्मार्ट स्टूडेंट
स्कूलों की पढ़ाई को दो स्तर पर स्मार्ट बनाया गया है - ब्लैकबोर्ड से लेकर टैबलेट तक। क्लासरूम में ब्लैकबोर्ड की जगह 650 टीएस नाम का ई-बोर्ड होता है जिसमें बिल्ट-इन कंप्यूटर है। इसमें कंटेट को रिमोट एक्सेस और मैनेज भी किया जा सकता है। ई-बोर्ड पर होने वाली पढ़ाई स्कूल के इंट्रा नेट से कनेक्ट होती है। बच्चों को कॉपी-किताबों की जगह गैलक्सी टैब दी जाती है, जिस पर उन्हें सारा कंटेंट मिलता है। यानी टीचर जो भी ई-बोर्ड पर लिख रहा है उसे वे अपने टैबलेट डिवाइस पर देख सकते हैं। ई-बोर्ड की खासियत है कि सूरज की रोशनी से इसकी चमक पर असर नहीं पड़ता और इसमें बिल्ट-इन स्पीकर भी हैं।

2. क्लास मिस हुई तो नो टेंशन
टैबलेट से पढ़ाई के इस फंडे का फायदा यह है कि टीचर जो पढ़ा रहा है, स्टूडेंट के लिए उसे नोट करने का झंझट नहीं होता। दोनों डिवाइस आपस में स्कूल से इंट्रा नेट से जुड़े होंगे। ऐसे में अगर स्टूडेंट की क्लास मिस भी हो गई तो ई-बोर्ड पर उस दिन जो भी पढ़ाई हुई थी उसे इंट्रा नेट की मदद से टैबलेट पर हासिल किया जा सकता है। इसी तरह टीचर अपनी टैबलेट पर अटेंडेंस से लेकर कोर्स करिकुलम तक सब कुछ एक्सेस कर सकते हैं।

2. एंड्रॉयड पर पढ़ाई के ऐप्लिकेशन
एंड्रॉयड मार्केट प्लेस में भी ढेरों एजुकेशन बेस्ड ऐप्लिकेशन हैं जो आपके बच्चे को पढ़ाई में मदद कर सकते हैं। इनमें प्री-नर्सरी से लेकर बड़ी क्लासेज तक के स्टूडेंट्स के लिए कई ऐप्लिकेशन हैं, जिनमें से कुछ फ्री हैं तो बाकियों की कीमत 44 रुपये से लेकर 600 रुपये की रेंज में हैं। बच्चों के लिए एबीसी, नंबर, प्री-स्कूल कलर और शेप्स नाम से ऐप्लिकेशन हैं जो उन्हें टचस्क्रीन पर बेसिक पढ़ाई -लिखाई की जानकारी देते हैं जबकि हायर एजुकेशन के भी ऐप्लिकेशन एंड्रॉयड मार्केट प्लेस पर उपलब्ध हैं।

एक शख्स, जिसने बदल दी कंप्यूटर की दुनिया

नई दिल्ली
छोटे से गैराजनुमा ऑफिस में नंगे पैर इधर से उधर भागते, सूट-बूट की जगह जींस और टी-शर्ट पहने उस शख्स को देखकर कौन कह सकता था कि इसने कंप्यूटर की दुनिया को बदलने की ठान ली है। कौन जानता था कि हिप्पियों की तरह भारत घूमकर आया वह दुबला-पतला शख्स जो एक वक्त का खाना हरे कृष्णा मंदिर में खाता था, कोक की खाली बोतलें लौटाकर डिनर का इंतजाम करता, कुछ साल के अंदर दुनिया की सबसे चहेती कंपनी खड़ी कर देगा। वह शख्स था स्टीव जॉब्स और उसकी कंपनी एपल को नामी मैगजीन फॉर्च्यून ने लगातार चौथे साल दुनिया की सबसे पसंदीदा कंपनी के तौर पर चुना है।
मैक कंप्यूटर, आई पॉड, आई फोन और अब आई पैड लाने वाली इस कंपनी ने साबित किया है कि हटके सोचा जाए तो गेम चेंजर बनने से कोई नहीं रोक सकता। गेम चेंजर यानी कुछ ऐसा करने वाला जो सारा खेल बदल दे। आई पॉड ने हमारे म्यूजिक सुनने का अंदाज बदला, आई फोन ने हमें टचस्क्रीन का जलवा सिखाया और अब आई पैड ने टैबलेट पीसी को सबसे ज्यादा तेज बिकने वाला गैजट बना दिया है। मैक कंप्यूटर और लैपटॉप की आदत तो ऐसी है कि आप फिर कोई और पीसी इस्तेमाल ही न कर पाएं।
पिछले 20-25 साल में एपल ने कॉरपोरेट कल्चर को भी बदल डाला। 1976 के दौरान जब स्टीव जॉब्स एपल को और बिल गेट्स माइक्रोसॉफ्ट को तैयार कर रहे थे, तब कंप्यूटर की दुनिया मेें आईबीएम का ऐसा कब्जा था कि उसे हटाने की कोई सोच भी नहीं सकता था। पायरेट्स ऑफ सिलिकॉन वैली नाम की फिल्म ने उस दौर को बखूबी पेश किया, जिसमें काले सूट और टाई से लैस आईबीएम के अफसरों को अपने बोर्डरूम में बैठकर स्टीव और गेट्स पर हंसते दिखाया गया, जो कल्पना तक करने को तैयार नहीं थे कि ये 'कल के बच्चे' उनका कुछ बिगाड़ पाएंगे। लेकिन आज आईबीएम का पीसी बाजार से पत्ता साफ हो चुका है।
स्टीव जॉब्स ने अच्छे ऑफिस के कॉन्सेप्ट को ही बदल डाला। वह खुद काम करने वाले मालिक बने, जो सूट-बूट तो छोडि़ए, ऑफिस में नंगे पांव घूमता नजर आता। उनकी यह अप्रोच बाद में एक फैशन बन गई, जिसकी कई कंपनियों ने खूब नकल की। लेकिन नकल में असल वाला जलवा कहां। यही वजह है कि आईबीएम का तख्त हिलाने के लिए एपल ने एकदम नई रणनीति बनाई। बोरिंग, भद्दे और बड़े से कंप्यूटरों की नकल के बजाय वह ऐसे कंप्यूटर लाई जो दिखने में खूबसूरत, इस्तेमाल करने में आसान और क्वॉलिटी में सबसे बढि़या हों। उन्हें इसमें थोड़ा समय लगा, लेकिन उन्होंने बाजार की तस्वीर बदल दी।
इंडियन सेलुलर असोसिएशन के अध्यक्ष पंकज महेंद्रू कहते हैं कि स्टीव जॉब्स और एपल ने सिखाया कि कैसे डिजाइन और रिसर्च पर काम करके कामयाबी हासिल की जा सकती है। इसके अलावा किस तरह बाकी इनोवेटिव लोगों को साथ लेने से आप वैल्यू के बदले वैल्यू हासिल करते हैं , यह भी एपल का दिया सबक है। महेंद्रू के मुताबिक भारतीय बिजनेसमैन के लिए यह बड़ा सबक है क्योंकि वे अच्छा मौका तो ढूंढते हैं लेकिन रिसर्च और डिजाइन को तवज्जो नहीं देते। महेंद्रू के इस पॉइंट में दम है क्योंकि एपल ने आई फोन और अब आई पैड में एप्लिकेशन स्टोर का जो फंडा दिया , उसने एक नई धारा शुरू कर दी। लोग एपल के लिए एप्लिकेशन बनाते हैं और एपल के प्रॉडक्ट इस्तेमाल करने वालों को अपनी डिवाइस पर कुछ नया करने को मिलता है। अब तक एपल के एप्लिकेशन स्टोर से 10 अरब से ज्यादा डाउनलोड हो चुके हैं।

ऐसे बढ़ाएं अपने लैपटॉप की बैटरी लाइफ

लैपटॉप का इस्तेमाल करने वाले ज्यादातर लोग उसकी बैटरी लाइफ को लेकर परेशान रहते हैं। लैपटॉप की बैटरी एक बार पूरी तरह चार्ज होने के बाद दो-तीन घंटे तक ही चल पाती है। सफर के दौरान या किसी जरूरी प्रेजेंटेशन के समय अचानक लैपटॉप की बैटरी खत्म हो जाना बड़ी समस्या पैदा कर सकता है, खासकर तब जब आपके आसपास कोई पावर प्लग न हो। कुछ तरीके आजमाकर आप अपने लैपटॉप की बैटरी को ज्यादा समय तक इस्तेमाल करने के अलावा बैटरी को जल्दी खराब होने से भी बचा सकते हैं। पूरी जानकारी दे रहे हैं
 
पावर मैनेजमेंट

पावर मैनेजमेंट को एडजस्ट करके बिजली की खपत को कम-ज्यादा किया जा सकता है। लैपटॉप की स्क्रीन की चमक जितनी ज्यादा होगी, उतनी ही बिजली ज्यादा खर्च होगी। control panel में जाकर power ऑप्शंस के जरिए बैटरी के इस्तेमाल को कम-से-कम पर सेट कर दें। इससे आपकी स्क्रीन की चमक कुछ कम हो जाएगी, प्रोसेसर की स्पीड घटेगी और लैपटॉप इस्तेमाल न होने पर जल्दी-जल्दी स्लीप मोड़ में चला जाएगा। इससे आपके काम पर भी कोई असर नहीं पडे़गा।

हाइबरनेट

काम न करते समय कंप्यूटर को Stand by मोड़ में रखने पर बिजली कम खर्च होती है। लेकिन अगर आपके लैपटॉप में हाइबरनेशन की सुविधा है, तो वह और भी ज्यादा बिजली बचाएगा। इसके लिए control panel में power ऑप्शन्स पर क्लिक करने के बाद खुले डायलॉग बॉक्स में hibernate टैब ढूंढें। अगर यह मौजूद है, तो उसे खोलकर enable hibernate बॉक्स पर टिक करें। अगर हाइबरनेट टैब न दिखे तो आपके लैपटॉप में यह व्यवस्था नहीं है।

पावर लीक

अगर लैपटॉप के साथ फ्लैश ड्राइव, एक्सटर्नल हार्ड डिस्क और स्पीकर, वाई-फाई कार्ड आदि जुड़े हुए हैं, तो उन्हें हटा लें क्योंकि उन सबको जरूरत की बिजली लैपटॉप की बैटरी से ही मिलती है।

सीडी-डीवीडी

लैपटॉप को बैटरी से चलाते समय सीडी और डीवीडी ड्राइव का इस्तेमाल कम-से-कम करें क्योंकि इस प्रोसेस में काफी बिजली खर्च होती है।

बैटरी चार्जिंग

बैटरी को चार्ज करने के बाद लंबे समय तक बिना इस्तेमाल करे न छोड़ें। अगर बैटरी चार्ज की हुई है, तो लैपटॉप को कम-से-कम दो हफ्ते में एक बार जरूर इस्तेमाल करें। अगर लैपटॉप में लीथियन आयन बैटरी है तो उसे पूरी तरह डिस्चार्ज न करें। अगर आपकी बैटरी नॉन लीथियन आयन है तो उसे हर दो-तीन हफ्ते में पूरी तरह से डिस्चार्ज करने के बाद ही दोबारा चार्ज करें। लैपटॉप को लंबे समय तक इस्तेमाल न करने की हालत में नान लीथियन आयन बैटरी को पूरी तरह डिस्चार्ज करके रखें। आपकी बैटरी किस कैटिगरी की है, यह पता करने के लिए लैपटॉप का मैनुअल देखें।

मल्टि-टॉस्किंग

अगर लैपटॉप बैटरी से चल रहा है, तो एक ही समय पर कई ऐप्लिकेशंस का इस्तेमाल न करें। आमतौर पर हम माइक्रोसॉफ्ट ऑफिस में काम कर रहे होते हैं और साथ में इंटरनेट एक्सप्लोरर पर वेबसाइट्स या ई-मेल भी खुले होते हैं। ऐसा मल्टि-टॉस्किंग के जरिए होता है। लेकिन याद रखें जितना ज्यादा प्रोसेस, उतनी ही ज्यादा बिजली की खपत। एक बार में एक ही सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करना बैटरी बचाएगा।

रखें कूल-कूल

लैपटॉप को तेज धूप में या गर्मी वाली दूसरी जगह में न रखें। काम करते समय भी ध्यान रखें कि आपके आसपास का तापमान बहुत ज्यादा न हो क्योंकि वह जितना कम होगा, लैपटॉप उतना ही अच्छा काम करेगा। उसके अंदर हवा जाने के रास्ते बंद न हों, की-बोर्ड में रुकावट न हो इसका ध्यान रखें और समय-समय पर उन्हें साफ करते रहें। तापमान पूछना है।

डिफैग

अगर आपकी हार्ड डिस्क में बहुत ज्यादा फ्रेगमेंटेशन (छितराई हुई फाइलें) है तो प्रोसेसर को फाइल मैनेजमेंट के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है और बिजली भी ज्यादा खर्च होती है। इससे बचने के लिए हार्ड डिस्क को डिफ्रैग करते रहें। ऐसा करना बहुत आसान है। सब my computer में जाकर C Drive पर राइट क्लिक करें। अब properties>tools>defragmentation पर जाएं। वहां दिए defragment now बटन को दबाएं। इससे हार्ड डिस्क में डेटा सही तरीके से स्टोर हो जाएगा।

नोट : उसी पावर कॉर्ड (तार) का इस्तेमाल करें जो लैपटॉप के साथ आया है। अगर वह खो गया है तो डीलर या कस्टमर केयर से पूछकर उसका सही रिप्लेसमेंट ढूंढें। 

इंटरनेट: फन भी, एजुकेशन भी

जब भी बच्चे कंप्यूटर पर बैठने की बात करते हैं तो आपके कान खडे़ हो जाते हैं। न जाने वे कब किसी गलत वेबसाइट पर पहुंच जाएं। लेकिन ऐसा नहीं है कि इंटरनेट पर बच्चों के लिए अच्छी वेबसाइट्स की कमी है। इन वेबसाइट्स पर मनोरंजन से लेकर पढ़ाई-लिखाई और हॉबीज से लेकर क्राफ्ट्स तक के बारे में उपयोगी सामग्री मौजूद होती है। जरूरत बस उन तक पहुंचने की है। अगर किसी विषय के अलग-अलग पहलुओं को, अलग-अलग लोगों की नजर से जानना हो, तो इंटरनेट से बेहतर कोई और एजुकेशनल रिसोर्स नहीं हो सकता। गूगल सर्च इंजन और विकीपीडिया भी ऐसे ही दो रिसोर्स हैं, जिनका यूज अब बच्चों की आदत बन चुका है। विकीपीडिया के अलावा भी इंटरनेट पर बच्चों के लिए बहुत कुछ अच्छा मौजूद है।

About.Com : किसी भी जरूरी चीज के बारे में जानकारी चाहिए तो इसे जरूर आजमाएं। विकीपीडिया से काफी पहले शुरू हुई इस वेबसाइट में भी करीब-करीब वैसी ही सामग्री है लेकिन विकीपीडिया की तरह इसमें कोई अपनी तरफ से कुछ लिख या हटा नहीं सकता। इसे यूज करने का तरीका बहुत आसान है। चाहें तो अपनी पसंद के शब्द को सर्च करें, नहीं तो वहीं मौजूद डायरेक्टरी की हेल्प भी ले सकते हैं। विकीपीडिया में जहां हर टॉपिक पर लेख मिलते हैं वहीं About.Com में उसी टॉपिक पर अलग-अलग तरह की ढेर सारी सामग्री का कलेक्शन मिल जाता है।

Howstuffworks.Com: स्टूडेंट्स के लिए विकीपीडिया और अबाउट.कॉम के अलावा यह वेबसाइट भी बहुत यूजफुल है। ज्यादातर जरूरी प्रोडक्ट, टेक्निक, मशीनें, भौगोलिक घटनाएं, सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर आदि कैसे काम करते हैं और कोई भी रिजल्ट पाने से पहले बैकग्राउंड में क्या-क्या होता है, इसे जानने के लिए यह काफी अच्छी वेबसाइट है। यहां लाखों पेजों में हजारों चीजों के बारे में जानकारी हाजिर है। आजकल इंडोनेशिया का ज्वालामुखी खबरों में है तो आप इस साइट जाकर देख सकते हैं कि ज्वालामुखी कैसे बनते हैं और उनकी राख क्यों और कैसे बाहर आती है।

Switchzoo.Com : इस वेबसाइट पर जानवरों के बारे में सामग्री मौजूद है। यहां उनके बारे में लेसन प्लान, कहानियों और ड्राइंग्स का ढेर तो मिलेगा ही साथ ही यहां आप उनकी आवाज सुनने के अलावा उनके विडियोज भी देेख सकते हैं। अगर आप थोड़े से क्रिएटिव हैं तो अपनी स्क्रीन पर जानवरों की नई किस्में बनाने की कोशिश भी कर सकते हैं। जंगल की लाइफ से जुड़े ढेर सारे गेम भी यहां मिलेंगे। सेरेनगेटी नेशनल पार्क की वेबसाइट (Serengeti.Org) भी वन्य जीवन पर बहुत सी जानकारियां देती है।

WordCentral.Com : अगर आप इंग्लिश लेंग्वेज की प्रैक्टिस करना चाहते हैं तो मरियम वेबस्टर की ओर से तैयार की गई यह वेबसाइट आपको बहुत पसंद आएगी। यहां डिक्शनरी, थिसॉरस और राइमिंग में से अपनी जरूरत की जानकारी ढूंढी जा सकती है। यह साइट शब्दों के अर्थ, सही उच्चारण और हिस्ट्री को भी बताती है। अगर आपको इंग्लिश में राइम्स लिखने का शौक है तो इसकी राइमिंग डिक्शनरी आपके बहुत काम आएगी। इसमें एक जैसे उच्चारण वाले शब्द झट से मिल जाते हैं। जैसे 'बिंगो' को लेकर सर्च करने पर मिलेंगे- डिंगो, फ्लेमिंगो, जिंगो और लिंगो। अपनी डिक्शनरी बनाने से लेकर शब्दों पर बेस्ड गेम खेलने के ऑप्शन भी यहां मौजूद हैं।

Kids.Nationalgeographic.Com : यह नैचर और उसकी रचनाओं की जानकारियों से भरी एक बेहतरीन वेबसाइट है। यहां बच्चों के लिए ढेरों ऐक्टिविटीज, ब्लॉग्स और कहानियों के साथ-साथ बहुत यूजफुल और दिलचस्प लेखों का खजाना भरा पड़ा है, साथ ही यहां बच्चों को तरह-तरह की प्रतियोगिताओं में भाग लेने का मौका भी मिलता है। साइट पर विडियो, ऐक्टिविटीज, गेम्स और कहानियों को खासतौर पर हाईलाइट किया गया है। क्राफ्ट, रेसीपीज, फन एक्टिविटीज, देशों, शहरों और लोगों से जुड़ी जानकारी, जानवरों से जुड़ी बातें और न जाने कितना कुछ यहां मौजूद है। बोतलों से म्यूजिक बनाने का तरीका, पत्तियां काटने वाली चींटियों और दुनिया की सबसे बड़ी मकड़ी के बारे में जानना चाहते हो तो डिस्कवरी किड्स से बेहतर जानकारी भला कहां मिलेगी? इस वेबसाइट को 2008 का पैरेंट च्वाइस अवॉर्ड भी मिला था।

Windows2universe.Org : स्पेस, सोलर सिस्टम और हमारी पृथ्वी के बारे में जानकारियों का शानदार संकलन यहां मिलेगा। जूपिटर पर मौजूद ग्रेट रेड स्पॉट क्या है, सुपरनोवा किसे कहते हैं और इंसान का विकास कैसे हुआ जैसे हजारों सवालों के दिलचस्प जवाब यहां पर मौजूद हैं। स्पेस से जुड़े विषयों पर ताजा खबरें और टीचर्स के लिए यूजफुल सामग्री भी यहां मिलेगी।

Whyfiles.Org : किसी भी जरूरी घटना के पीछे के वैज्ञानिक कारणों का खुलासा करने वाली यह वेबसाइट साइंस के बच्चों को बहुत पसंद आएगी। इसके Archieve सेक्शन में जाकर देखें, बॉयोलजी, जियोलजी, एंवायरमेंट, चिकित्सा, सोश्योलॉजी जैसे टॉपिक्स पर सैंकड़ों यूजफुल लेख मिलेंगे, जो स्टूडेंट्स को पढ़ाई के लिए और अधिक जानकारियां देंगे। whyfiles बहुत ही आसान लेंग्वेज में सवालों के जवाब देती है।

Pbskds.Org : छोटे बच्चों के बीच बहुत पॉपुलर वेबसाइट है, खासकर चौथी-पांचवीं क्लास तक के बच्चों में। पीबीएस टीवी चैनल द्वारा बनाई गई इस वेबसाइट में चैनल के शोज के पॉपुलर कैरेक्टर्स (जैसे क्लिफ्फोर्ड, एल्मो, काइलू, माया, मार्था और मिग्वेल) बच्चों के साथ बात करते हैं और खेल-ही-खेल में उन्हें बहुत कुछ सिखा देते हैं। यहां अंकों, शब्दों, स्पेलिंग, साइंस स्किल्स आदि से जुड़े दिलचस्प खेल और मजेदार एक्सरसाइजेज बच्चों को बांधे रखते हैं।

Curiosity.Discovery.Com: यह वेबसाइट स्कूल जाने वाले स्टूडेंट्स के लिए बहुत यूजफुल है। यहां जानवरों, लोगों और जगहों के बारे में दिलचस्प जानकारियों का खजाना मौजूद है और सब कुछ इतनी आसान लेंग्वेज में बताया और समझाया गया है कि बोरियत का नामो-निशान तक नहीं होता। बच्चों को मैथ्स के बारे में जानना हो या ज्योग्राफी के बारे में, अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े रोमांचक फैक्ट्स हों या ऐतिहासिक घटनाएं, स्टूडेंट्स को यहां ढेर सारी वैरायटी मिल जाएगी।

Abcteach.Com : इस वेबसाइट पर स्कूल में पढ़ाए जाने वाले सब्जेक्ट्स से लेकर दिमागी कसरतों और भाषायी पहेलियों का भंडार है। इंटरनेट पर एजुकेशन से जुड़े सबसे अच्छे ठिकानों में से एक एबीसी टीच पर ड्राइंग से लेकर क्राफ्ट्स तक के दर्जनों अच्छे प्रोजेक्ट्स मौजूद हैं। फ्लैश कार्ड्स, क्रासवर्ड पजल्स और ऐसी ही ढेर सारी दिलचस्प चीजें यहां मिलेंगी जो मनोरंजन के साथ-साथ पढ़ाई में भी मदद करती हैं।

खेल-खेल में पढ़ाई

Coolmath4kids.Com : बच्चों के लिए मैथ्स पर बेस्ड दिलचस्प गेम्स इस वेबसाइट पर मिलेंगे। यहां प्लस-माइनस से लेकर फैक्शन और फैक्टल्स तक को गेम्स के जरिए सीखा जा सकता है। फिजिक्स, टिग्नोमेट्री, जमैट्री और साइंस से जुड़े कई दूसरे सब्जेक्ट्स भी मैथ्स के इन गेम्स में समेट लिए गए हैं। लेकिन अगर मैथ्स से डर लगता है तो आपके लिए एक आसान ऑप्शन भी मौजूद है - कलरिंग बुक।

SchoolExpress.Com : अपने सब्जेक्ट्स की में नॉलेज बढ़ाने के इच्छुक बच्चों के लिए यह एक बेहतरीन ठिकाना है। ज्योग्राफी, हिस्ट्री, साइंस, मैथ्स, सोशल साइंस और ऐसे ही दूसरे सब्जेक्ट्स पर यहां कमाल की जानकारियां मौजूद हैं। सोलह हजार से ज्यादा डाउनलोडेबल वर्कशीट्स वाली इस वेबसाइट पर नर्सरी से लेकर बारहवीं तक के बच्चों के लिए यूजफुल सामग्री मिलेगी। यहां पर कुछ चीजों के लिए फीस भी ली जाती है।

Dositey.Com : इस वेबसाइट के फ्री एक्टिविटीज सेक्शन में ऐसे गेमों का भंडार है जो बच्चों को कुछ-न-कुछ सिखाते हैं, फिर भले ही वह एल्जेब्रा हो या स्पेलिंग। अगर दिमाग की कसरत चाहते हैं तो यहां दी गई गणितीय पहेलियों को हल करने की कोशिश करें। इस साइट पर खाली समय बिताने के लिए सीधे-सादे गेम्स से लेकर चैलेंज लेने के इच्छुक स्टूडेंट्स के लिए माइंड ट्विस्टिंग एक्सरसाइजेज तक मौजूद हैं। यह साइट सिर्फ बच्चों के लिए ही नहीं है, बड़े भी चाहेें तो इस पर हाथ आजमा सकते हैं। साइट का दावा है कि उसकी सामग्री 5 से 105 साल यानी हर उम्र के लोगों को पसंद आएगी।

Learningplanet.Com : इस साइट पर स्टूडेंट्स के साथ-साथ टीचर्स के लिए भी काफी सामग्री उपलब्ध है। सीनियर क्लासेज के बच्चों को यहां फ्रैक्शन, ज्योग्राफी या मैथ्स में दिमाग आजमाने का मौका मिलेगा तो नर्सरी के बच्चों को अक्षरों और नंबरों से जुड़ी छोटी-छोटी पहेलियां। उदाहरण के लिए प्री-स्कूल के बच्चों के लिए मौजूद चूहे के एक मजेदार गेम को ही लें। वह बच्चों को तरह-तरह की आसान चुनौतियां देता है, जैसे आसमान से गिरते अक्षरों में से चुने हुए अक्षरों को टोकरी में डालना आदि, और इसी तरह मजे-मजे में अल्फाबेट्स और गिनती की प्रैक्टिस करा देता है। मौज-मस्ती के इच्छुक स्टूडेंट्स को यहां सुडोकु, शब्द पहेली, क्विज जैसी चीजें पसंद आएंगी।

IXL.Com : यहां पर नर्सरी से लेकर आठवीं क्लास तक के बच्चों के काम की सामग्री मौजूद है। अपनी क्लास बताओ और अपने मतलब का पेज खोल लो। ढेर सारी जानकारियां, पहेलियां और गेम हाजिर। आठवीं क्लास में जाएंगे तो पाइथागोरियन थोरम से लेकर प्रिज्म और सिलेंडर के आयतन तक पर सवाल पूछे जाएंगे। जितने सही जवाब, उतने ही नंबर। मैथ्स में बच्चा कितने पानी में है, यह साइट चुटकियों में बता देती है।

प्योर मस्ती

जिन बच्चों को इंटरनेट पर गेम खेलने का शौक है, उन्हें इन वेबसाइट्स पर अपने मतलब की ढेर सारी सामग्री मिलेगी। इनके बहुत से गेम वेबसाइट पर ही चलते हैं जबकि कुछ को डाउनलोड कर अपने कंप्यूटर में इंस्टॉल कर सकते हैं। इनमें से ज्यादातर या तो पूरी तरह फ्री हैं या फिर उनके फ्री डेमो वर्जन उपलब्ध हैं।

बीजी गेम्स (Bgames.Com)

जपैक (Zapak.Com)

मिनीक्लिप (Miniclip.Com)

याहू गेम्स (In.games.yahoo.Com)

गेम्स नोड (GameNode.Com)

गेम प्यूमा (GamePuma.Com)

कबूस (Resources.Kaboose.Com/Games)

गेम्स2विन (Games2win.Com)

स्पोग (Spogg.Com)

पोगो (Pogo.Com)

कैसे मिले इंटरनेट की बेहतर स्पीड

मैं अपने मोबाइल फोन को पीसी से कनेक्ट करके इंटरनेट का यूज करता हूं। मैं जानना चाहता हूं कि किस कनेक्शन से मुझे बेहतर स्पीड मिलेगी, केबल कनेक्शन से या फिर ब्लूटुथ कनेक्शन से? यश

इंटरनेट की स्पीड कई चीजों पर निर्भर करती है। मसलन आपके कंप्यूटर की स्पीड, मॉडम/राउटर और कंप्यूटर के बीच कनेक्शन की स्पीड और मॉडम/राउटर से आईएसपी तक की स्पीड। आपको यह बात समझ लेनी चाहिए कि इन तीनों में से जो स्पीड सबसे कम होगी, आपको अपने इंटरनेट पर वही स्पीड मिलेगी। चूंकि आप मॉडम के तौर पर मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे हैं, इसलिए ऐसा मान सकते हैं कि आप जीपीआरएस का यूज कर रहे होंगे। हम यह भी मानकर चल रहे हैं कि आपके पास एक अच्छा कंप्यूटर है, जिसमें भरपूर रैम है। इसके अलावा आपके पास एक अच्छा प्रॉसेसर है, जिसकी हार्ड डिस्क में 5 से 7 जीबी का फ्री स्पेस है।

अगर आप यूएसबी केबल के जरिए कंप्यूटर को मोबाइल से कनेक्ट करते हैं, तो कंप्यूटर और मोबाइल के बीच डेटा 300 से 400 मेगा बिट्स प्रति सेकंड की दर से ट्रांसफर होगा। ब्लूटुथ कनेक्शन की स्पीड करीब 3 मेगाबिट्स प्रति सेकंड है, जबकि जीपीआरएस कनेक्शन 50 किलोबाइट की दर से डेटा ट्रांसफर कर सकता है, जो ब्लूटुथ कनेक्शन के मुकाबले काफी कम है। यहां यह भी साफ है कि यूएसबी केबल ब्लूटुथ के मुकाबले 100 गुना तेज स्पीड दे सकता है। चूंकि कम स्पीड जीपीआरएस की वजह से है इसलिए इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप केबल कनेक्शन का यूज कर रहे हैं या ब्लूटुथ कनेक्शन का, इंटरनेट आपको तब तक वही स्पीड देता रहेगा, जब तक आप 3जी कनेक्शन या किसी ऐसे मोबाइल कनेक्शन का यूज नहीं करते, जो अच्छी स्पीड देता हो।

जब मैं यूट्यूब से कोई विडियो देखना चाहता हूं तो मेसेज आता है कि आपके पास एडोब फ्लैश प्लेयर नहीं है। यह क्या है और मैं विडियो कैसे देख सकता हूं?

अडोब फ्लैश प्लेयर एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जिससे कंप्यूटर प्रोग्राम जैसे वेब ब्राउजर का यूज करके एनिमेशंस और फिल्में देखी जा सकती हैं। आपको जो मेसेज मिल रहा है, उसकी वजह या तो यह है कि आपके वेब ब्राउजर में यह प्लेयर ही नहीं है या फिर आप पुराना फ्लैश प्लेयर यूज कर रहे हैं, जो यूट्यूब को सपोर्ट नहीं करता।

चुटकी में हो जाएगा डाटा ट्रांसफर!

डाटा ट्रांसफर की स्लो स्पीड से परेशान कंप्यूटर यूजर्स के लिए खुशखबरी है। जर्मन साइंटिस्ट्स ने 26 टेराबिट्स यानी कि 400 मिलियन टेलिफोन कॉल्स का डाटा एक सेकंड में 50 किमी दूर भेजने में करिश्मा कर दिखाया है। जी हां , इंटरनेट से धीमी स्पीड से डाटा ट्रांसफर होने से परेशान यूजर्स के लिए जर्मन साइंटिस्ट्स का कारनामा किसी चमत्कार से कम नहीं है। उन्होंने 700 डीवीडी से ज्यादा कपैसिटी का डाटा एक सेकंड में एक लेजर बीम की मदद से ट्रांसफर कर दिया।

केआईटी , जर्मनी के साइंस्टिस्ट्स ने बताया कि उन्होंने एक सेकंड में 26 टेराबाइट डाटा ट्रांसफर करके अपना ही वर्ल्ड रेकॉर्ड तोड़ा है। इससे पहले इसी ग्रुप ने पिछलेे साल एक सेकंड में 10 टेराबाइट डाटा ट्रांसफर करने में सफलता हासिल की थी। यह डाटा 50 किमी से ज्यादा दूरी पर एक सिंगल लेजर बीम की मदद से ट्रांसफर किया गया। इस सिस्टम को उन्होंने ऑर्थोगोनल फ्रीक्वेंसी डिविजन मल्टीप्लेक्सिंग ( ओएफडीएम ) का नाम दिया है , जिसकी मदद से लेजर बीम को डिफरेंट कलर स्ट्रीम में डिवाइड किया गया।

रिसर्चर प्रफेसर ज्यूर्ग ल्यूहोल्ड ने बताया , ' एक सेकंड में 26 टेराबाइट डाटा का मतलब आप 400 मिलियन टेलिफोन कॉल्स के बराबर का डाटा एक सेकंड में ट्रांसफर कर सकते हैं। हमारे रिसर्च के मुताबिक यह अब तक की सबसे फास्ट डाटा ट्रांसफर रेट है। दरअसल , आजकल इंटरनेट पर बहुत ज्यादा डाटा इकट्ठा हो जाने की वजह से इस पर डाटा ट्रांसफर की स्पीड बेहद स्लो हो गई है। ऐसे में , वहां इतनी तेज स्पीड हासिल करना बेहद मुश्किल है। जबकि हमारे लिए फास्ट स्पीड से डाटा ट्रांसफर बेहद जरूरी है। '

ल्यूहोल्ड बताते हैं कि कुछ सालों पहले तक एक सेकंड में 26 टेराबाइट की स्पीड को एक सपना माना जाता था। हालांकि उस वक्त किसी को इतनी फास्ट स्पीड पर इतना ज्यादा डाटा ट्रांसफर करने की जरूरत भी नहीं थी। लेकिन आज कंडिशन दूसरी हैं। गौरतलब है कि इंटरनेट पर विडियो ट्रांसमिशन के काफी हाई स्पीड की जरूरत होती है। और यह जरूरत दिनोंदिन बढ़ती जा रही है। मौजूदा कम्यूनिकेशन नेटवर्क में एक सेकंड में 0.1 टेराबाइट की स्पीड से डाटा ट्रांसफर किया जाता है। ऐसे में एक सेकंड में 26 टेराबाइट डाटा ट्रांसफर की स्पीड को वाकई सुपर फास्ट माना जा रहा है।

जर्मन साइंटिस्ट्स का मानना है कि मौजूदा वक्त में इंटरनेट पर बढ़ते बोझ को देखते हुए डाटा ट्रांसफर की यह स्पीड हासिल करना सिर्फ मौजूदा जेनरेशन बल्कि आने वाली जेनरेशन के लिए भी बेहद कारगर साबित होगा। जाहिर है , इस चमत्कार का क्रेडिट जर्मन टीम को ही मिलेगा।

यह मोबाइल सॉफ्टवेयर आपको बना देगा जासूस

अगर आप यह जानना चाहते हैं कि आपके पीछे आपके लाइफ पार्टनर और बच्चे क्या करते हैं तो समझिए आपकी मुराद पूरी हो गई है। वैज्ञानिकों ने एक ऐसा मोबाइल फोन एप्लिकेशन बनाया है जो उनकी हर हरकत पर नजर रख सकता है।

इसे ईफोन ट्रैकर का नाम दिया गया है। यह चुपचाप टेक्स्ट मेसेज , कॉल इन्फर्मेशन , जीपीएस लोकेशन , खोली गईं वेबसाइट , जोड़े गए या सर्च किए गए फोन नंबर तक रिकॉर्ड कर लेता है। यहां तक कि डिलीट किए हुए ईमेल और टेक्स्ट मेसेज भी खोज निकाले जा सकते हैं।

इसके बाद यह सारी जानकारी सीधे आपके पास ईमेल कर दी जाएगी। जिसे आप अपने स्मार्टफोन या कंप्यूटर पर पढ़ सकेंगे। इस एप्लिकेशन का एक और जबर्दस्त फीचर है स्पाई कॉल। इसे ऑन कर देने के बाद आप अगर अपने पार्टनर या बच्चों के मोबाइल पर कॉल करेंगे तो आप उनके आसपास चलने वाली बातचीत सुन सकेंगे।

यह सॉफ्टवेयर लगभग 2000 रुपये का है और किसी भी स्मार्टफोन में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह एंड्रायड , ब्लैकबेरी , आईफोन , विंडोज मोबाइल 6 या सिंबियन ओएस 9 पर काम कर सकता है।
एक बार फोन में इन्स्टॉल होने के बाद हर बार जब फोन ऑन किया जाएगा यह चालू हो जाएगा। लेकिन यह खुद छिपा हुआ रहता है और दिखाई नहीं देता।

स्टूडेंट्स के लिए राइट लैपटॉप

स्टूडेंट्स के लिए अब कागज- कलम बीते जमाने की बात हो गई। अब वे प्रोजेक्ट्स तैयार करने से लेकर मूवी देखने तक के लिए लैपटॉप का यूज करने लगे हैं। लेकिन उनके लैपटॉप में कौन-कौन से फीचर्स हों, इसे लेकर वे हमेशा कन्फ्यूज रहते हैं। अगर आपके साथ भी ऐसा है, तो ये रहा सॉल्यूशन:

सुनयना शर्मा बीबीए की स्टूडेंट हैं। उन्हें कई प्रॉजेक्ट्स पर काम करना है और प्रेजेंटेशन तैयार करने हैं। 20 साल की सुनयना हॉस्टल में रहती हैं और उनके पास टीवी सेट भी नहीं है। ऐसे में, उन्हें एक लैपटॉप की जरूरत है, जो न सिर्फ उन्हें प्रॉजेक्ट तैयार करने में मदद करे, बल्कि उनके लिए एंटरटेनमेंट डिवाइस का काम भी करे। यानी कि वह उस पर मूवीज देखने के अलावा म्यूजिक भी चला सकें।

यही नहीं, सुनयना को सोशल नेटवर्किंग और ऑनलाइन फ्रेंड्स बनाने में काफी इंटरेस्ट है। वह ट्विटर, फेसबुक, ऑरकुट और माई स्पेस पर तो ऐक्टिव हैं ही, साथ ही वह फैशन ब्लॉगर भी हैं।

जाहिर है, ऐसे में सुनयना को ऐसा लैपटॉप चाहिए, जिस पर वह अपने प्रॉजेक्ट्स तो रेडी कर ही सकें। साथ में, क्लोदिंग डिजाइंस का लेटेस्ट अपडेट भी रख सकें। वह चाहती हैं कि इस डिवाइस को कॉलेज जाते हुए अपने बैकपैक में कैरी कर सकें। यही नहीं, जब वह इसे कहीं बाहर यूज करें, तो वह लैपटॉप उनकी पर्सनैलिटी को भी रिफलेक्ट करे। साथ ही, उसका कलर भी सबसे अलग हो।

क्या चाहिए सुनयना को
सुनयना अपने लैपटॉप को जिस तरह यूज करना चाहती हैं, ऐसे में उनके लिए इंटेल प्रोसेसर काफी होगा। यह प्रोसेसर नेटबुक में मौजूद होता है। लेकिन उन्हें ज्यादा पावर वाला लैपटॉप खरीदना चाहिए। एएमडी ई-350 प्रोसेसर वाले लैपटॉप में वह यूट्यूब पर एचडी विडियो भी देख पाएंगी। अगर सुनयना के पैरंट्स का बजट थोड़ा और बढ़ जाए और वह एचडी डीवीडी भी देखना चाहती हैं, तो इंटेल आई 3 370 प्रोसेसर वाला लैपटॉप ले सकती हैं। बता दें कि नेटबुक में सीडी या डीवीडी ड्राइव मौजूद नहीं होती।

डबल चॉइस
सुनयना के पास दो चॉइस हैं। वह डेढ़ किलो से कम वेट का नेटबुक ले सकती हैं , जिसकी स्क्रीन 12 इंच की होगी। वरना वह 2.5 किलो वेट वाला फुल - फ्लेज्ड नोटबुक ले सकती हैं। बड़ी स्क्रीन और पोर्टेबिलिटी में से उनके लिए क्या इंपोर्टेंट है , यह उनकी चॉइस पर डिपेंड करता है।

बैटरी लाइफ
जो लैपटॉप एक बार चार्ज करने के बाद चार से पांच घंटे तक चल जाए , कैंपस में ले जाने के लिए वह बेहतर चॉइस माना जाता है। आजकल जितने भी नए लैपटॉप रहे हैं , उनमें सिक्स सेल बैटरीज लगी होती हैं। ये नॉर्मल यूज में चार से पांच घंटे तक चल जाती हैं।

स्पेशल फीचर्स
सुनयना को फिल्में भी देखनी हैं , इसलिए उन्हें ऐसा हार्डवेयर एक्सिलेरेशन चाहिए , जिससे वह हाई डेफिनेशन विडियोज देख सकें। इसके लिए एएमडी फ्यूजन प्रोसेसर वाले नेटबुक या इंटेल एटम प्रोसेसर के करंट जेनरेशन वाले डिवाइसेज खरीदने होंगे। दूसरे , सुनयना उस एज में हैं , जहां एक इंसान खुद को सबसे अलग देखना चाहता है। इसलिए , उन्हें कलरफुल डिवाइस लेनी चाहिए।

क्या हो कीमत
स्टूडेंट होने के नाते सुनयना लैपटॉप पर ज्यादा खर्च नहीं कर सकतीं। अगर सुनयना कम कीमत में ही अपना काम चलाना चाहती हैं , तो वह 25,000 रुपये खर्च करके एचपी पैवेलियन डीएम 1 ले सकती हैं। कुछ हजार रुपये और खर्च करके वह एचपी जी 42 या एसर टाइमलाइन एक्स 4820 टी जैसा कोई मॉडल ले सकती हैं। अगर सुनयना स्लीक लैपटॉप लेना चाहती हैं और प्राइस को लेकर कोई इशू नहीं है , तो वह सोनी वायो - सीरीज के कलरफुल रेंज में से अपने लिए ऑप्शन सिलेक्ट कर सकती हैं।

रैम : एक बीबीए स्टूडेंट के सभी कामों के लिए 1 जीबी रैम काफी है। हां , अगर बजट ज्यादा हो , तो ज्यादा रैम वाला लैपटॉप खरीद सकती हैं , लेकिन उसकी जरूरत नहीं है।

हार्ड डिस्क : सुनयना अपनी स्टडीज से जुड़े डॉक्यूमेंट्स तो स्टोर करेंगी ही , साथ में सॉन्ग्स और मूवीज का कलेक्शन भी रखेंगी। ऐसे में उन्हें कम - से - कम 320 जीबी कपैसिटी वाली हार्ड डिस्क की जरूरत है।

वेट : लैपटॉप का वेट 2.5 किलोग्राम से ज्यादा नहीं होना चाहिए , क्योंकि यह ज्यादातर समय उनके बैकपैक पर होगा।

अपने कंप्यूटर को धीमा पड़ने से बचाएं

कितना भी नया, आधुनिक, ब्रैंडेड और महंगा हो, कंप्यूटर कुछ महीनों बाद धीमा हो ही जाता है। आप उसकी हार्ड डिस्क दोबारा फॉरमैट करके देखते हैं, विंडोज को दोबारा इंस्टॉल करते हैं और वह फिर से रफ्तार पकड़ने लगता है। मगर दो-तीन महीने गुजरे नहीं कि फिर वही कहानी। लेकिन कुछ सावधानी बरतकर आप अपने कंप्यूटर की रफ्तार बरकरार रख सकते हैं। कैसे, बता रहे हैं

आम राय यह है कि कंप्यूटर तो धीमा पड़ेगा ही पड़ेगा क्योंकि कंपनियां उन्हें बनाती ही इस तरह हैं कि वे धीमे पड़ जाएं। ऐसा न हो तो लोग नए कंप्यूटर कैसे खरीदेंगे? इस बात में सचाई नहीं है। आम तौर पर कोई कंप्यूटर कंपनी अपने उत्पादों की कार्यक्षमता नहीं घटा सकती। तकनीकी आधार पर भी और कारोबारी कारणों से भी (गारंटी के दौरान उन्हें बदलना ज्यादा महंगा पड़ेगा)। यूं तो उम्र बीतने के साथ-साथ मशीनों की कपैसिटी में भी थोड़ी कमी आती है लेकिन अगर खरीदने के छह महीने के भीतर ही कंप्यूटर धीमा पड़ जाए तो गलती कहीं-न-कहीं यूजर्स की भी है।

कंप्यूटरों के धीमा पड़ने के आम कारणों में बहुत ज्यादा सॉफ्टवेयर इंस्टॉल करना और बड़ी संख्या में टेंपरेरी फाइलों या सिस्टम फाइलों का हार्ड डिस्क में जमा हो जाना है। ये फाइलें सॉफ्टवेयरों के इन्स्टॉलेशन या इस्तेमाल के साथ-साथ इंटरनेट सर्फिंग के कारण भी बन जाती हैं। वायरसों, स्पाईवेयर, एडवेयर जैसे घातक ऐप्लिकेशंस और मैलवेयर भी इसमें बड़ी भूमिका निभाते हैं। सासर जैसे वायरस तो उन्हें इतना धीमा कर सकते हैं कि आप माउस तक न हिला पाएं। हार्ड डिस्क संबधी गड़बडि़यां भी काम की स्पीड घटा देती हैं। अगर आप अपने कंप्यूटर को बरसों बरस तेज बनाए रखना चाहते हैं तो आपको इन बातों का खास खयाल रखना चाहिए :

1. अपने आप बनने वाली टेंपररी फाइलों (टेम्प) को पूरे कंप्यूटर में सर्च कर डिलीट कर दें। इसके लिए आप आगे बताए गए स्टेप्स को फॉलो करें :
Internet explorer-Tools-Brousing history-Delete .

2. अगर रिसाइकिल बिन भरा पड़ा है तो उसे खाली कर लें।

3. नॉर्टन, मैकेफी, कैस्परस्की, एवीजी (मुफ्त भी उपलब्ध), ट्रेंड माइक्रो जैसा कोई अच्छा ऐंटि- वायरस सॉफ्टवेयर इन्स्टॉल करें और अपने कंप्यूटर को वायरसों से मुक्त रखें। इसी तरह स्पाईवेयर हटाने के लिए 'स्पाईवेयर सर्च ऐंड डिस्ट्रॉय' सॉफ्टवेयर का प्रयोग करें।

4. हार्ड डिस्क में मौजूद डेटा को सिलसिलेवार ढंग से जमा करने (डीफ्रैगमेन्ट) के लिए आप इन स्टेप्स को फॉलो करें :
My computer-Local disk-Right click-Properties-Tools-Defragment now.

5. हार्ड डिस्क बहुत भर गई है तो गैरजरूरी फाइलों को हटाकर उसमें कम-से-कम एक चौथाई जगह खाली रखें।

6. कंट्रोल पैनल में जाकर Add-remove programs सुविधा के जरिए ऐसे सभी सॉफ्टवेयरों को हटा दें जिनकी जरूरत अब नहीं है। बहुत ही कम इस्तेमाल होने वाले सॉफ्टवेयर को भी हटा सकते हैं और जब जरूरत हो दोबारा इन्स्टॉल कर सकते हैं।

7. कंप्यूटर में सभी सॉफ्टवेयरों से संबंधित सूचना एक जगह पर दर्ज होता है, जिसे रजिस्ट्री कहते हैं। रजिस्ट्री को साफ करने के लिए किसी फ्रीवेयर रजिस्ट्री क्लीनर का प्रयोग करें ताकि वहां हटाए गए सॉफ्टवेयरों का गैरजरूरी डेटा न पड़ा रहे।

8. अगर कंप्यूटर में रैम कम है तो उसे बढ़वा लें। एक जीबी रैम अच्छी मानी जाती है, लेकिन अगर आप ज्यादा संसाधनों का प्रयोग करने वाले सॉफ्टवेयर इस्तेमाल करते हैं तो इसे दो जीबी करवा लें।

9. अपने कंप्यूटर में वर्चुअल मेमरी की सेटिंग देखें। इसके लिए कंट्रोल पैनल में System–advanced–performance–settings–virtual memory पर जाएं। चेंज बटन दबाकर वर्चुअल मेमरी का आकार बढ़ा दें। वर्चुअल मेमरी का प्रयोग रैम के पूरी तरह इस्तेमाल हो जाने पर विकल्प के रूप में किया जाता है।

1 0 . फॉन्ट्स की संख्या सीमित रखें। कई सौ फॉन्ट रखने से सिस्टम का धीमा पड़ना तय है।

12. स्टार्ट अप श्रेणी में बाय डिफॉल्ट शुरू होने वाले सॉफ्टवेयरों की संख्या बहुत सीमित कर दें। इसके लिए कंट्रोल पैनल, टास्कबार ऐंड स्टार्ट मेन्यू कस्टमाइज विकल्पों का प्रयोग करें।

13. अगर आपकी विंडोज की ग्राफिक्स सेटिंग बहुत जयादा है तो उसे थोड़ा कम करके देखें। कंप्यूटर के डेस्कटॉप पर माउस का राइट क्लिक करने पर डिस्प्ले प्रॉपटीर्ज दिखाई देती हैं। इसमें सेटिंग्स टैब पर जाएं और कलर क्वॉलिटी थोड़ी कम (32 बिट से घटाकर 16 बिट) करके देखें।

14. हो सकता है कि आपके कंप्यूटर में इन्स्टाल किए गए डिवाइस ड्राइवर (हर हार्डवेयर के संचालन के लिए कंप्यूटर में उससे जुड़े एक सॉफ्टवेयर को इन्स्टाल करना पड़ता है जिसे डिवाइस ड्राइवर कहते हैं) विंडोज के वर्जन के अनुकूल न हों। यदि आपको किसी हार्डवेयर के बारे में ऐसा शक है तो उसे बनाने वाली कंपनी की वेबसाइट पर जाकर ताजा डिवाइस ड्राइवर डाउनलोड कर इन्स्टॉल कर लें।

कंप्यूटर के धीमे पड़ने की ज्यादातर समस्याएं इन तरीकों से हल हो जानी चाहिए। अगर आपका कंप्यूटर फिर भी धीमा ही रहता है तो आपको किसी विशेषज्ञ की सीधी मदद लेने की जरूरत है। 

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